1. दो लोगों के बीच एक स्वस्थ संवाद और बातचीत तभी कायम हो सकते हैं जब दोनों धैर्य से एक दूसरे की बात सुनें.
2. अच्छी बातचीत के लिए, एक दूसरे की भावनाओं का ख्याल रखना और उसके विचार व मत के साथ सहमति जताना जरूरी है, क्योंकि यदि एक व्यक्ति दूसरे की हर बात पर टोके, आपत्ति जताए या उसका विरोध करे तो दोनों के बीच स्वस्थ बातचीत नहीं हो सकती.
3. किसी को बुरी लगने वाली बात कहने से पहले इस बात को कभी न भूलें कि इसकी प्रतिक्रिया तीखी हो सकती है, इसलिए एक दूसरे के प्रति विनम्र बने रहना जरूरी है, भले आपसी सहमति बने या न बने, क्योंकि यह ज्यादा मायने रखता है कि यह हमारे दिमाग पर प्रतिकूल असर न डाले.
4. अक्सर हम किसी से बातचीत के दौरान उसके व्यवहार या क्रिया को कुशलतापूर्वक नहीं समझ पाते, जिसके फलस्वरूप हम अपनी बातचीत के विषय पर स्वयं को केंद्रित नहीं कर पाते जो हम कहना चाहते हैं.
5. इसलिए, बातचीत के दौरान अपने से जुड़ी हर बात को सच्चाई के साथ पेश करें, अपने ऊपर लगाए गए कोई आरोप को कुशलतापूर्वक निराधार साबित करें, और स्तिथि के अनुसार बिना आपा खोए समस्या का समाधान निकलने की चेष्ठा करें.