घरेलू धूल को नज़रअंदाज न करें

1. करीब  360 किस्म के खतरनाक विषैले तत्व घरेलू धूल में मौजूद हो सकते हैं, और कई बार यह बाहरी धूल से भी ज्यादा जहरीली हो सकती है.

2. इसका एक तिहाई हिस्सा मौसम, जलवायु और घर के निर्माण में इस्तेमाल हुई विभिन्न किस्म की सामग्री हेतु होता है.

3. रसोई में बनने और सड़ने वाले तमाम खाद्य पदार्थ, उन्हें खाने वाले कीड़े मकौड़े, कालीन का धूल व फाइबर, कपड़ों व बिस्तरों से निकलने वाली रूई आदि भी इसका हिस्सा होते हैं.

4. सबसे ज्यादा धूल फर्नीचर, सोफे, गद्दे, कंबल, कपड़े, अखबार, किताब, और जूते-चप्पल से निर्मित होती है.

5. इस धूल में बैक्टीरिया, वायरस, फफूंद के बीजाणु, पौधों के तंतु, पत्तियों के ऊतक, अत्यंत सूक्ष्म जीवजंतु और उनके मलकण भी होते हैं.

6. पालतू जानवर वाले घरों में, उनके झड़े बाल और मृत कोशिकाओं का चूरा भी इस धूल में शामिल होता है.

7. करीब 30 लाख लोग ऐसी घरेलू धूल से हर साल मर जाते हैं, और इनमे करीब 5 लाख भारतीय होते हैं.

क्या करें?

1. घर में पानी के हर रिसाव को तुरंत ठीक करवाएं.

2. स्वच्छ वायु के आवागमन के लिए, खिड़कियों को खोलकर रखें.

3. धूल झाड़ने के बाद, सतह को गीले कपड़े से जरूर पोछें.

4. कुर्सियां, सोफे, पर्दे, बिस्तर आदि को वैक्यूम क्लीनर से भी कभी-कभी साफ करें.

5. समय-समय पर गद्दों, गलीचों, कालीन व बिस्तर को धूप में रखें.

6. कालीन और गलीचों के स्थान पर, लकड़ी का फर्श, टाइल्स आदि इस्तेमाल करें.

7. पौधों या फूलों को खुले स्थानों में ही रखें.

8. पालतू जानवरों को शयनकक्ष में न आने दें.

9. धूल झाड़ते समय हमेशा मुंह ढंककर रखें.