बच्चों को सही संयमित भाषा सिखाएं

1. यदि आप यह सोच रहे हैं कि आपके बच्चे सही भाषा खुद ही सीख जाएंगे, तो आप गलत सोच रहे हैं, क्योंकि इन्हें सही समय पर सिखाना अत्यंत आवश्यक है जिससे गलत व खराब भाषा उनके दिमाग के शब्दकोश में पैठ न कर ले.

2. बच्चों से हमेशा प्यार से भरी भाषा में बात करें, जिससे वे आपको आदर्श के रूप में देखेंगे व अच्छी भाषा का सम्मान करना सीखेंगे, और हो सकता है कि वे आपसे भी बेहतर भाषा बोलना सीख लें.

3. इसके लिए खुद में भी बदलाव लाएं, क्योंकि वे हमेशा लोगों की इज्जत करना, प्यार से बात करना, विनम्रता, जिम्मेदारी निभाना, काम करना आदि आपसे ही सीखेंगे.

4. बच्चों से सटीक व सीधी बात आसान शब्दों में ही करें, क्योंकि मुश्किल शब्दों में घुमा-फिरा कर कही बात उन्हें समझ नहीं आएगी.

5. अगर बच्चे आपके सामने कड़वी या अभद्र भाषा का प्रयोग करें, तो उन्हें तुरंत रोकें, क्योंकि उन्हें तमीज से बातें करना सिखाना भी आपकी जिम्मेदारी है.

6. यदि बच्चे गलत भाषा सीख गए हैं, तो उन्हें दोष दिए बिना एहसास दिलाएं कि ऐसी भाषा के प्रयोग से आप कितने दुखी हैं, क्योंकि ऐसा करने से बच्चे भावनात्मक रूप से बदलेंगे और सही दिशा को खुद ही चुन लेंगे.

अपने कार्यक्षेत्र में हमेशा अच्छी आदतों को ही अपनाएं

1. अच्छे आचरण और अच्छे गुणों वाले व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में अच्छी सफलता अर्जित करते हैं, वहीं जिन लोगों में गलत आदतें रहती हैं, वे जीवन में सफलता, सुख-शांति व समृद्धि पाने के लिए तरसते रहते हैं.

2. सत्य का साथ कभी न छोड़ें, क्योंकि छोटे से स्वार्थ के लिए झूठ का सहारा लेने से सफलता मिल भी जाती है, तो वह स्थाई नहीं रहती और आपको देर-सबेर बदनामी का सामना करना पड़ता है.

3. ऐसा कोई भी कार्य हमेशा सफल होता है जिसमे सहकारिता का भाव शामिल हो, क्योंकि आपकी बड़ी सफलताएं सहयोगियों और आपके समूह के समर्थन पर बहुत निर्भर होती हैं.

4. चूंकि सफलता के लिए एक गुण का होना काफी नहीं है, इसलिए आप अपने कार्यक्षेत्र से संबंधित जितनी जानकारी हासिल करेंगें, आपके काम की गुणवत्ता में उतना ही सुधार होता जाएगा.

5. इसके अलावा, आप अपने मूल कार्य से हटकर दूसरे संबंधित क्षेत्रों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का भी हिस्सा बनें, जिससे आपकी कार्यक्षमता में विस्तार होगा व दूसरों पर निर्भरता भी कम हो जाएगी.

6. यह हमेशा याद रखें कि प्रयास में विफल होना क्षम्य है, लेकिन सफल होने के लिए प्रयास ही न करना अक्षम्य है.

घरेलू धूल को नज़रअंदाज न करें

1. करीब  360 किस्म के खतरनाक विषैले तत्व घरेलू धूल में मौजूद हो सकते हैं, और कई बार यह बाहरी धूल से भी ज्यादा जहरीली हो सकती है.

2. इसका एक तिहाई हिस्सा मौसम, जलवायु और घर के निर्माण में इस्तेमाल हुई विभिन्न किस्म की सामग्री हेतु होता है.

3. रसोई में बनने और सड़ने वाले तमाम खाद्य पदार्थ, उन्हें खाने वाले कीड़े मकौड़े, कालीन का धूल व फाइबर, कपड़ों व बिस्तरों से निकलने वाली रूई आदि भी इसका हिस्सा होते हैं.

4. सबसे ज्यादा धूल फर्नीचर, सोफे, गद्दे, कंबल, कपड़े, अखबार, किताब, और जूते-चप्पल से निर्मित होती है.

5. इस धूल में बैक्टीरिया, वायरस, फफूंद के बीजाणु, पौधों के तंतु, पत्तियों के ऊतक, अत्यंत सूक्ष्म जीवजंतु और उनके मलकण भी होते हैं.

6. पालतू जानवर वाले घरों में, उनके झड़े बाल और मृत कोशिकाओं का चूरा भी इस धूल में शामिल होता है.

7. करीब 30 लाख लोग ऐसी घरेलू धूल से हर साल मर जाते हैं, और इनमे करीब 5 लाख भारतीय होते हैं.

क्या करें?

1. घर में पानी के हर रिसाव को तुरंत ठीक करवाएं.

2. स्वच्छ वायु के आवागमन के लिए, खिड़कियों को खोलकर रखें.

3. धूल झाड़ने के बाद, सतह को गीले कपड़े से जरूर पोछें.

4. कुर्सियां, सोफे, पर्दे, बिस्तर आदि को वैक्यूम क्लीनर से भी कभी-कभी साफ करें.

5. समय-समय पर गद्दों, गलीचों, कालीन व बिस्तर को धूप में रखें.

6. कालीन और गलीचों के स्थान पर, लकड़ी का फर्श, टाइल्स आदि इस्तेमाल करें.

7. पौधों या फूलों को खुले स्थानों में ही रखें.

8. पालतू जानवरों को शयनकक्ष में न आने दें.

9. धूल झाड़ते समय हमेशा मुंह ढंककर रखें.

हिचकें नहीं, साहस दिखाएं

1. तयशुदा विचारों के साथ आगे बढ़ते हुए, हम अक्सर बहुत सी नई चीजों के लिए दरवाजे बन्द कर देते हैं, जब कि इनका स्वागत करने से हमें बहुत कुछ सीखने का मौका मिलता है.

2. हम किसी भी नई राह पर आगे बढ़ने से इसलिए हिचकते हैं क्योंकि हम मान लेते हैं कि यह काम हमसे बहुत परे है, जबकि थोड़ा सा सोचने का तरीका बदलने से हर चीज सम्भव है.

3. यदि हम अपने किसी डर को काबू में नहीं कर पा रहे हैं, या हम किसी क्षेत्र में आगे जाने से डर रहे हैं, तो ऐसे में हमें विशेषज्ञों की भी मदद लेनी चाहिए.

4. जब हम समाज में नजर डालेंगे, तो बहुत से ऐसे लोगों को पाएंगे जो अपनी दृढ़ता, हिम्मत व मेहनत के बूते अपनी जिंदगी को मिसाल बनाएं हुए हैं, और उनसे हमको अपने लिए प्रेरणा मिलेगी व हम भी नई चीजों को करने का बीड़ा उठा पाएंगे.

5. हम सभी के पास अपनी योग्यता है तो अपनी कमियां भी हैं, इसलिए हमें दोनों को ध्यान में रखते हुए स्वयं का आकलन करना चाहिए, और खुद से उतनी ही अपेक्षा करें जितना आप कर सकते हैं.

6. सफलता या हार तो किसी भी प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है अपनी तरफ से प्रयास करना, इसलिए अपने प्रयासों को पर्याप्त महत्व दें, और यह सोचें कि हम किस तरह अपने हुनर में बेहतर हो सकते हैं.

हमेशा नई चीजें सीखते रहें

1. आपने औपचारिक शिक्षा भले ही पूरी कर ली हो, लेकिन सीखने की प्रक्रिया को कभी रुकने न दें, नए विकास के प्रति लगातार जागरूक रहें और अपने ज्ञान को बढ़ाते रहें.

2. दुनिया तेजी से बदल रही है, इसलिए अपने कार्यक्षेत्र में नया क्या है, इसकी जानकारी रखें, व्यावसायिक विकास और विशेष प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में भाग लें, क्योंकि ये आपको अपना करियर बनाने में मदद करेंगे।

3. अधिक से अधिक संभावनाओं का पता लगाने के लिए अच्छे लोगों से जुड़ें, उनके साथ संपर्क निर्मित कर सूचनाओं का आदान-प्रदान करें, और पेशेवर नेटवर्किंग सोशल साइट्स का भी फायदा उठाएं.

4. अपने कार्य के दौरान किसी ने आपकी खामियों पर कुछ बोल दिया हो, तो उन बातों को आप दिल पर बिल्कुल भी न लें, और किसी भी हालत पर उनपर अपनी प्रतिक्रिया न दें.

5. हो सके तो ऐसी टिप्पणियों को ध्यानपूर्वक सुनकर अपने में सुधार लाने की कोशिश करें, क्योंकि इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा.

व्यस्त लोगों के लिए योग (5/5)

व्यस्त लोगों के लिए योग (5/5)

व्यायाम - 1

1. पैरों को अलग करके खड़े हो जाएं.

2. दोनों घुटनों को एक दूसरे की ओर आगे और अंदर की ओर मोड़ें.

3. उन्हें जितना हो सके पास लाएँ.

4. अपने आप को सीधा करें और आराम करें.

5. इसे 6 बार दोहराएं.

व्यायाम - 2

1. बाएं पैर को दाएं पैर से 18 इंच आगे करके खड़े हो जाएं.

2. दोनों घुटनों को आगे की ओर मोड़ें.

3. जितना हो सके दाहिने घुटने को जमीन की ओर दबाएं.

4. दाहिने घुटने को 6 बार दबाएं.

5. पैरों की स्थिति बदलें, और बाएं घुटने को 6 बार दबाएं.

व्यायाम - 3

1. पैरों को अलग करके, और हाथों को साइड में करके खड़े हो जाएं.

2. मुट्ठी बंद करें, और हाथों को कोहनियों पर मोड़ें.

3. धीरे-धीरे मुट्ठियों को कंधों की ओर आगे और ऊपर की ओर लाएं.

4. जितना हो सके, बाजुओं को कोहनी और कलाइयों पर मोड़ें.

5. धीरे-धीरे हाथों को कंधों से दूर, आधे घेरे में घुमाएं.

6. अपनी बाहों को अपने पक्षों पर छोड़ दें और आराम करें,

7. इसे 6 बार दोहराएं.

व्यस्त लोगों के लिए योग (4/5)

व्यस्त लोगों के लिए योग (4/5)

पदहस्तासन (गहरी आज्ञाकारिता आसन) - रीढ़ को लचीला बनाने, परिसंचरण को जीवंत करने और आंतरिक अंगों को उत्तेजित करने के लिए

1. पैरों को आपस में मिलाकर खड़े हो जाएं, और हाथों को सिर के ऊपर सीधा उठाएं.

2. हथेलियां बाहर की ओर रखते हुए गहरी सांस लें.

3. सांस छोड़ते हुए, पेट को अंदर खींचते हुए, कमर से आराम से आगे की ओर झुकें, और हथेलियों को पंजों के जितना हो सके पास लाएं.

4. अपनी टखनों को पकड़ें, हाथों को पैरों के साथ रखें, और धीरे से अपना चेहरा अपने घुटनों की ओर खींचें.

5. इस मुद्रा में 3 बार पेट भरकर सांस लें और छोड़ें.

6. गहरी सांस लेते हुए खड़े हो जाएं, और हाथों को सिर के ऊपर सीधा उठाएं.

7. सांस छोड़ें, और अपनी बाहों को अपने बगल में गिरने दें.

8. इसे 2 बार दोहराएं.

पद्मासन (कमल आसन) - नसों और मन की आंतरिक स्थिति को शांत करने के लिए

1. अपने पैरों को अपने सामने फैलाकर फर्श पर बैठें.

2. अपने बाएं पैर को मोड़ें, और उसके तलवे को अपनी दाहिनी जांघ पर टिकाएं.

3. अपने दाहिने पैर को मोड़ें, और उसके तलवे को अपनी बाईं जांघ पर टिकाएं.

4. तलवों को ऊपर की ओर मोड़ें, जितना आपके जोड़ अनुमति दें.

5. घुटनों को फर्श पर टिकाकर रखना चाहिए.

व्यस्त लोगों के लिए योग (3/5)

व्यस्त लोगों के लिए योग (3/5)

सांस

1. श्वास एक ऐसी चीज है जो अवचेतन रूप से की जाती है, लेकिन इसे सचेतन नियंत्रण में लाया जा सकता है.

2. यह तकनीक थकी हुई नसों को विनियमित और ताज़ा करने में मदद करती है.

3. श्वास नियंत्रण के दौरान गिनती दो प्रकार से की जा सकती है -

i) अपनी बायीं कलाई की स्पंदित तंत्रिका पर दो अंगुलियां रखकर अपनी नाड़ी गिनें.

ii) यदि आप इसे सुन सकते हैं, तो अपने दिल की धड़कन को गिनें.

प्राणायाम

1. इसका अर्थ है एक विशेष, पूर्व-निर्धारित लय में सांस लेना.

2. इसमें साँस लेने, प्रतिधारण और साँस छोड़ने के लिए निश्चित समय शामिल है, जिसे विभिन्न मुद्राओं में किया जा सकता है.

3. प्राणायाम में लक्षित लय 1:4:2 (श्वास लेना/प्रतिधारण/साँस छोड़ना) है, या इसके गुणकों का अनुपात है.

व्यायाम - 1

1. पैरों को क्रॉस करके बैठ जाएं और पूरी तरह से सांस छोड़ें.

2. दाहिने हाथ की दो अंगुलियों को बायीं कलाई की नाड़ी पर रखें.

3. नाड़ी की 3 धड़कन तक नाक से श्वास लें.

4. अपनी सांस को नाड़ी की 12 धड़कन तक रोकें.

5. नाक से नाड़ी की 6 धड़कन तक सांस छोड़ें.

6. ऐसा 5 बार करें और आराम करें.

व्यायाम - 2

1. पैरों को क्रॉस करके बैठ जाएं, और अपने दाहिने हाथ को अपने चेहरे पर लाएं.

2. अपनी तर्जनी उंगली को अपनी आंखों के बीच अपने माथे पर रखें.

3. अपने अंगूठे और मध्यमा उंगली को अपने नथुने के पास दोनों तरफ लाएं.

4. पूरी तरह से सांस छोड़ें, और अपने दाहिने नथुने को अपने अंगूठे से बंद करें.

5. अपने बाएं नथुने से गहरी सांस लें, फिर अपने बाएं नथुने को अपनी मध्यमा उंगली से बंद करें.

6. दोनों नथुनों को बंद किए हुए 12 सेकंड तक गिनें.

7. फिर अपना दाहिना नथुना खोलें और 6 सेकंड तक गिनते हुए सांस छोड़ें.

८. उसी दाहिने नथुने से 3 सेकंड तक गिनते हुए तुरंत श्वास लें, फिर अपने दाहिने नथुने को अपने अंगूठे से बंद करें.

9. दोनों नथुनों को बंद किए हुए फिर से 12 सेकंड तक गिनें.

10. फिर अपने बाएं नथुने को खोलें और 6 सेकंड तक गिनते हुए सांस छोड़ें.

11. इससे प्राणायाम का 1 चक्र पूरा होता है.

12. इसी तरह 3 चक्र पूरा कर आराम करें.

व्यस्त लोगों के लिए योग (2/5)

व्यस्त लोगों के लिए योग (2/5)

कहां करें योग

1. एक शांत, एकांत जगह चुनें जहां ताजी हवा भरपूर हो.

2. अगर आप बाहर योग का अभ्यास कर रहे हैं तो छाया में रहें.

3. हल्का योगाभ्यास लगभग कहीं भी किया जा सकता है.

योग के दौरान क्या पहनें

1. जलवायु के आधार पर, शरीर को पूरी आजादी देने के लिए, जितना हो सके कम पहनें.

2. चुस्त कपड़ों से बचें.

3. फर्श पर चटाई, कालीन या कंबल का प्रयोग करें.

योग कब और कितने समय तक करें

1. भोजन के बाद 3 घंटे तक कभी भी योग न करें.

2. अन्यथा दिन या शाम का कोई भी समय योग के लिए उपयुक्त होता है.

3. स्व-प्रशिक्षण शुरुआती लोगों को योग करने में एक घंटे से अधिक समय नहीं लगाना चाहिए.

योग करते समय रवैया

1. धीमी और सुचारू गति का लक्ष्य होना चाहिए.

2. मांसपेशियों को कभी भी बल या तनाव न दें.

3. दूसरों को प्रभावित करने की कोशिश किए बिना अपना भला करें.

व्यस्त लोगों के लिए योग (1/5)

व्यस्त लोगों के लिए योग (1/5)

1. योग एक अनुशासन है जिसका उद्देश्य व्यक्तिगत चेतना को पूर्ण आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि और शांति की स्थिति की ओर निर्देशित करना है.

2. योग के छह अलग-अलग प्रकार हैं - राज, हठ, कर्म, ज्ञान, भक्ति और मंत्र - जो सभी एक ही लक्ष्य के मार्ग हैं, लेकिन इसे प्राप्त करने के विभिन्न तरीकों पर जोर देते हैं.

3. राज योग मन प्रशिक्षण पर जोर देता है लेकिन यह शारीरिक व्यायाम के लिए भी कहता है; हठ योग शरीर के संपूर्ण प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करता है लेकिन साथ ही यह मन को भी प्रशिक्षित करता है; कर्म योग इस दुनिया में कर्म के माध्यम से कर्म के सांसारिक फल की चिंता किए बिना काम करता है, जिसका उद्देश्य कर्तव्य या मानवता की सेवा है; ज्ञान योग ज्ञान और सच्चे गैर-भेदभाव पर जोर देता है; भक्ति योग एक आध्यात्मिक नेता के प्रति समर्पण पर जोर देता है; और मंत्र योग ध्वनि कंपन के विज्ञान पर जोर देता है.

4. हठ योग आज सबसे व्यापक रूप से किया जाने वाला योग है, जहां व्यायाम सुचारू और सुंदर होते हैं, तनाव और विश्राम के बीच संतुलन और लय होती है, वे ऊर्जा को नहीं बहाते हैं बल्कि शरीर को पुनर्जीवित करने के लिए ऊर्जा छोड़ते हैं, और बड़े मांसपेशियों के निर्माण का लक्ष्य नहीं रखते हैं.

5. हठ योग के कुछ व्यावहारिक उद्देश्य हैं -

i) पूर्णता की स्थिति तक पहुंचने के लिए शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करना

ii) उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को मंद करने के लिए शरीर के ऊतकों को पुनर्जीवित करना

iii) ऊर्जा के आंतरिक भंडार का उपयोग करके शरीर को लगातार सक्रिय करना

iv) सही श्वास और सच्चा विश्राम सिखाना

v) अपनी आंतरिक शक्ति को विकसित करने के लिए शरीर और मन की शक्तियों को एकीकृत करना.

आपका व्यवहार आपकी सफलता की कुंजी है

1. आप चाहे जहां हों, जो भी काम कर रहे हों, जरूरी है कि आपके शब्दों का चयन सभ्य, भाषा आकर्षक, और कहने का तरीका शिष्ट हो.

2. सब लोगों का मुस्कुराकर अभिवादन करें, भले ही वे अजनबी हों, और उनसे आंख से आंख मिलाकर बातें करें. 

3. अच्छे श्रोता बनें, सवाल भी पूछें, लेकिन यह ध्यान रखें कि किसी की व्यक्तिगत जिंदगी को न कुरेदें और अपनी सीमाओं में ही रहें.

4. यदि आप दूसरों से अपने लिए सम्मान चाहते हैं, तो जानें कि आप क्या चाहते हैं और क्या नहीं, व उसके प्रति एकदम स्पष्ट रहें.

5. आपके व्यक्तित्व के लिए यह भी जरूरी है कि आप "ना" कहना भी सीखें, क्योंकि हरेक को "हाँ" कहने से आपको मानसिक दबाव तो महसूस होगा ही, दूसरों का विश्वास भी टूटेगा अगर आप उनको पूरा नहीं कर पाएंगे.

6. लोगों में पसंदीदा बने रहने के लिए यह भी जरूरी है कि आप अपने नजरिए व विचारों में स्पष्ट और दृढ़ रहें, ताकि आप स्वयं को उनके सामने सही तरीके से प्रस्तुत कर सकें.

7. किसी को कोई वादा किया है, तो हर हाल में उसे पूरा करें, क्योंकि यह न सिर्फ आपके व्यक्तिगत जीवन के लिए, बल्कि व्यवसायिक जीवन के लिए भी जरूरी है कि आप अपने दिए वचन के प्रति कितनी गंभीरता बरतते हैं.

फोन पर विनम्र उत्तर देने के सिद्धांत

1. सीधे बैठें, गहरी सांस लें और फ़ोन पर उत्तर देने से पहले मुस्कुराएं.

2. फोन की तीसरी घंटी से पहले जवाब जरूर दें.

3. फोन करने वाले को तुरंत अपनी पहचान बताएं.

4. बात करते समय विनम्र, मिलनसार, पेशेवर, उत्साही और मृदुभाषी बनें.

5. बात करते समय अपने फोन करने वाले पर ही पूरा ध्यान दें.

6. अपने फोन करने वाले की बातचीत का जवाब देते रहें.

7. जितना हो सके पार्श्व शोर को खत्म करें.

8. अपने कारणों की व्याख्या करने के बाद, और पहले अनुमति मांगने के बाद ही, कॉल ट्रांसफर करें

9. जब आपको लाइन छोड़नी हो, तो फोन करने वाले को उसका कारण बताएं

10. बातचीत को सकारात्मक रूप से समाप्त करें

बातें करने से पहले

1. दो लोगों के बीच एक स्वस्थ संवाद और बातचीत तभी कायम हो सकते हैं जब दोनों धैर्य से एक दूसरे की बात सुनें.

2. अच्छी बातचीत के लिए, एक दूसरे की भावनाओं का ख्याल रखना और उसके विचार व मत के साथ सहमति जताना जरूरी है, क्योंकि यदि एक व्यक्ति दूसरे की हर बात पर टोके, आपत्ति जताए या उसका विरोध करे तो दोनों के बीच स्वस्थ बातचीत नहीं हो सकती.

3. किसी को बुरी लगने वाली बात कहने से पहले इस बात को कभी न भूलें कि इसकी प्रतिक्रिया तीखी हो सकती है, इसलिए एक दूसरे के प्रति विनम्र बने रहना जरूरी है, भले आपसी सहमति बने या न बने, क्योंकि यह ज्यादा मायने रखता है कि यह हमारे दिमाग पर प्रतिकूल असर न डाले.

4. अक्सर हम किसी से बातचीत के दौरान उसके व्यवहार या क्रिया को कुशलतापूर्वक नहीं समझ पाते, जिसके फलस्वरूप हम अपनी बातचीत के विषय पर स्वयं को केंद्रित नहीं कर पाते जो हम कहना चाहते हैं.

5. इसलिए, बातचीत के दौरान अपने से जुड़ी हर बात को सच्चाई के साथ पेश करें, अपने ऊपर लगाए गए कोई आरोप को कुशलतापूर्वक निराधार साबित करें, और स्तिथि के अनुसार बिना आपा खोए समस्या का समाधान निकलने की चेष्ठा करें.

बच्चों की मासूमियत आप खुद न छीनें

1. घर के बड़े लोग अक्सर छोटे बच्चों के सामने ही उन लोगों का अनादर करते रहते हैं जिन्हें वे सामने रहने पर बहुत सम्मान देते हैं, जिसके फलस्वरूप बच्चों में असमंजस की स्तिथि उत्पन्न हो जाती है.

2. अंततः बच्चे भी उनके नक्शेकदम पर चलते हुए लोगों से वैसा ही व्यवहार करने लगते हैं, जिसकी वजह से बहुत कम उम्र में ही बच्चे अपनी मासूमियत खो देते हैं.

3. इसी ही तरह बच्चे जातिवाद, गरीबी, धर्म आदि द्वारा भेदभाव करना भी सीख जाते हैं, और संवेदनहीन हो जाते हैं.

4. अगर हम चाहते हैं कि बच्चे रिश्तों के प्रति संवेदनशील रहें और उनका भोलापन व भावुकता बनी रहे, तो हमें उनके दिलोदिमाग में किसी के प्रति अपनी धारणा नहीं भरनी चाहिए.

5. हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि इंसान एक सामाजिक प्राणी है और वह अपने से आगे के लोगों का ही अनुसरण करता है.

तंदुरुस्ती के लिए उत्तम आहार

1. हमारे जीवनशैली की विडंबना यह है कि जब भूख नहीं लगती तब हम खाना खा रहे होते हैं ताकि बाद में भूख न लगे, और जब भूख लगती है तो जी-तोड़ मेहनत कर रहे होते हैं ताकि काम में पीछे न रह जाएं.

2. यह अपनी सेहत से खिलवाड़ करने जैसा है, और इसका नतीजा मोटापा, उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त शर्करा और अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल है.

3. सामान्यतः हम मानते हैं कि सुबह, दोपहर और रात, यानी तीन वक़्त, पेट भरकर भोजन करना चाहिए, मगर ऐसा आहार हमारे स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है.

4. हमें इन आहारों के बीच में थोड़े-थोड़े अंतराल पर कुछ फल और अन्य हल्के फुल्के आहार का सेवन करते रहना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से हमें भूख कम लगती है और भारी भोजन करने की भी जरूरत नहीं पड़ती है.

5. इसके फलस्वरूप मोटापा की समस्या नहीं होती, कामकाज के दौरान शरीर अलसाया हुआ व निष्क्रिय भी प्रतीत नहीं होता, और हमारी ऊर्जा भी बची रहती है.

6. ऐसे आहारों में, हमें खाद्य पदार्थ का चयन करते वक़्त सजग रहना जरूरी है, और तैलीय व वसायुक्त चीजों की बजाय फल, अंकुरित दाल, कच्ची सब्जियां, केले, सलाद आदि को प्राथमिकता दें.