अपराधबोध से ग्रसित न रहें

1. दुनिया में कोई ऐसा इंसान नहीं है जिससे कभी कोई भूलचूक न होती हो, इसलिए किसी गलती पर खुद से नफरत करने लग जाना सही नहीं है.

2. यदि यह स्तिथि लगातार लम्बे समय तक बनी रहती है, तो हम तनाव और अवसाद से घिर जाते हैं, जिससे हमारा स्वास्थ्य और आत्मविश्वास डगमगा जाता है.

3. ऐसे में हमारा दिल और दिमाग एक अजीब कशमकश में घिर जाता है, जिससे हमें सारी चीजों से अरुचि या चिढ़ होने लगती है.

4. वस्तुस्तिथि पर आत्मविश्लेषण करना जरूरी है, क्योंकि हम कई बार दिमाग में आने वाले अवांछित डर व आशंकाओं को हम शब्दों की अभिव्यक्ति न दे पाने के कारण भी अपराधबोध में घिर जाते हैं.

5. सही समय पर "ना" कहने से, गुजरी बातें भूलने से, और अपने इर्दगिर्द के लोगों से हमेशा संवाद बनाए रखने से, भी हम अपराधबोध से स्वयं को मुक्त रख सकते हैं.

6. अपराधबोध से बचने के लिए, अपनी सीमाओं को पहचान कर ही लक्ष्य निर्धारित करें, और उनके भीतर ही जिम्मेदारियां लें.