खुश रहने की पहली शर्त सकारात्मक सोच है

 1. खुशी कहीं दूर नहीं हमारे आसपास ही रहती है, बस जरूरत है उसे महसूस करने और अपने दिल में जगह देने की होती है, इसलिए अपने इर्द-गिर्द मौजूद छोटी-छोटी चीजों में खुशी तलाशने की कोशिश करनी चाहिए.

2. खुशियों के लिए धन की जरूरत नहीं होती, परिस्थितियों से भी इनका कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि खुश रहने की पहली शर्त सकारात्मक सोच है और अच्छी सोच वालों की ओर खुशियां खुद दोस्ती का हाथ बढ़ाती हैं.

3. आशावादी नजरिया, संतोषजनक रिश्ते और सकारात्मक सोच जिंदगी में खुशहाली लाते हैं, इसलिए इन्हें जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बनाएं और अपने इर्द-गिर्द ऐसे लोगों को जगह दें जिनसे आप अपने मन की बात कह पाएं, जो आपको समझते हों और खामियों के साथ भी आपको स्वीकार करते हों.

4. फुर्सत में रहने वाले लोगों के मुकाबले व्यस्त लोग कम दुखी और उदास होते हैं, इसलिए अपने काम एवं शौक में हमेशा व्यस्त रहें, या जरूरतमंदों की मदद करें जिससे आत्मिक शांति, सुख और संतोष मिलता है.

5. यदि आप लिखने का शौक रखते हैं, तो वक्त-वक्त पर जिंदगी की सकारात्मक बातें अपनी डायरी में लिखते रहें, और जब भी मन उदास हो या नकारात्मक विचार मन में आएं तो उसके पन्ने पढ़ें जो आपको विश्वास दिलाएंगे कि जिंदगी में बुरे ही नहीं, अच्छे दिन भी आते हैं.

6. आप जैसे हैं उसी रूप में खुद को स्वीकार करें और दूसरों से अपनी तुलना कभी न करें, क्योंकि ऐसा करने से खुद से अपेक्षाएं बढ़ती हैं और पूरी न होने पर मन उदास होता है.

7. अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करें, क्योंकि उसे हासिल करने की कोशिश में दिनचर्या व्यवस्थित रहती है जिससे खुशी भी स्थाई भाव के रहती है.

8. यदि आप रोज सुबह उठने के बाद दो मिनट आंखें बन्द करें और मन ही मन बोलें कि यह दुनिया बेहद खूबसूरत है और मुझे उससे और खुद से प्यार है, तो नकारात्मक विचार स्वतः दूर हो जाएंगे.