बढ़ती उम्र में अपनी अड़ियल मानसिकता से बाहर निकलें

1. बढ़ती उम्र में जब कुछ खास करने को नहीं रह जाता है, तो खाली दिमाग परेशानी का सबब बन जाता है, और अवसाद एवं उच्च रक्तचाप जैसी गम्भीर बीमारियां पनपने लगती हैं.

2. अगर आप जरा शांति से बैठकर हिसाब लगाएंगे, तब आपको समझ आएगा कि आपके अधिकतर सपने पूरे हो चुके हैं, और जो बाकी हैं उनके पूरे न होने का दुख मात्र एक असुरक्षा की भावना है, जो उम्र के साथ बढ़ जाती है.

3. बढ़ती उम्र में निजी प्राथमिकताएं भी बदलती हैं, जिसके फलस्वरूप अधिकांश पति-पत्नी के बीच जो विवाद पैदा होता है, वह आप दोनों के अड़ियल रुख को बढ़ावा देता है और कुंठाएं पैदा करता है.

4. इसलिए, आप अपने को किसी काम में उलझाए रखें, कोई अच्छा शौक पालें, किताब-पत्रिकाएं पढ़ें, शौकिया भोजन बनाएं, बागवानी करें, मुफ्त में बच्चों को पढाएं या सिलाई-कढाई करें.

5. कोई आर्थिक समस्या नहीं है तो कम्प्यूटर या लैपटॉप खरीदें, उस पर टाइप करें, हिसाब-किताब रखें, बिजली-पानी और फोन आदि के बिल भी स्वयं ऑनलाइन जमा करें, पत्रव्यवहार करें, बधाई और शुभकामनाओं का लेन-देन करें, गाने सुनें और फ़िल्म देखें.

6. वक्त के साथ हमें अपनी सोच को सकारात्मकता की ओर ले जाना चाहिए, जिससे कि टूटने की बजाय खुद में इतनी क्षमता पैदा कर लेनी चाहिए कि हम बढ़ती उम्र की हर परिस्थिति का सामना कर सकें, और व्यर्थ की चिंताओं में स्वपीड़ा के अस्वस्थ सुख से अपने को दूर रखें.