परवरिश में समझदारी जरूरी है

1. घर से बाहर, आपके बच्चे दूसरों के सामने अपनी राय रखना, अपने हितों को पहचानना, और अपनी मनपसंद चीजों के लिए संघर्ष करना भी सीखते हैं, जो उनके विकास की प्रक्रिया का एक स्वाभाविक हिस्सा है.

2. लेकिन उनके हर व्यवहार पर अभिभावकों को पूरी नजर रखनी चाहिए, अन्यथा बच्चों की आदतें बिगड़ने लगती हैं और कुछ समय के बाद उनके गलत व्यवहार को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है.

3. बच्चों की बाल-सुलभ शरारतों और उनके अनुशासनहीन व्यवहार में एक बारीक फर्क होता है, और उनके किसी असामाजिक व्यवहार को तुरंत रोकना बहुत जरुरी है, अन्यथा भविष्य में यह आदत उनके लिए बहुत नुकसानदेह साबित होगी.

4. चार साल की उम्र से ही बच्चों को सामाजिक संबंधों से जुड़े विभिन्न पहलुओं को सिखाना सबसे ज्यादा जरूरी है कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं, और अगर उनके साथ भी ऐसा ही व्यवहार हुआ तो उन्हें कैसा लगेगा.

5. बच्चे अपने अभिभावकों से ही सीखते हैं, इसलिए आपको भी अपने व्यवहार में शालीनता और संयम बरतना चाहिए जिससे उनमें कोई मनोवैज्ञानिक समस्याएं नहीं पनपें.

6. आपको रोजमर्रा के व्यवहार से बच्चों को यह एहसास दिलाना भी जरूरी है, कि हर चीज केवल उनके लिए ही नहीं है बल्कि उन्हें दूसरों के साथ मिलबांट कर इस्तेमाल करना है, जिससे कि वे दूसरों की भावनाओं और जरूरतों का ख्याल रखना सीखेंगे.