करवटें

करवटें बदल रहा है आज सब जहां, रंग बदलते जा रहे हैं धरती आसमां.

क्यों न हम कदम बढ़ा सकें समय के साथ, क्यों न छेड़ें हम बदलती ज़िन्दगी के तार.

अब न रोके से रुकेंगे ज़िन्दगी की राह, अब नही रुकेंगे जहां रुकती है निगाह.

हम मिलेंगे और मिलेंगे कंधे और कदम, एक हो निशाना अपना एक ही निशान.