करवटें बदल रहा है आज सब जहां, रंग बदलते जा रहे हैं धरती आसमां.
क्यों न हम कदम बढ़ा सकें समय के साथ, क्यों न छेड़ें हम बदलती ज़िन्दगी के तार.
अब न रोके से रुकेंगे ज़िन्दगी की राह, अब नही रुकेंगे जहां रुकती है निगाह.
हम मिलेंगे और मिलेंगे कंधे और कदम, एक हो निशाना अपना एक ही निशान.
क्यों न हम कदम बढ़ा सकें समय के साथ, क्यों न छेड़ें हम बदलती ज़िन्दगी के तार.
अब न रोके से रुकेंगे ज़िन्दगी की राह, अब नही रुकेंगे जहां रुकती है निगाह.
हम मिलेंगे और मिलेंगे कंधे और कदम, एक हो निशाना अपना एक ही निशान.