1. वरिष्ठ नागरिक समयानुसार अपने जीवनशैली में परिवर्तन करके घर में रहते हुए ही पुरातन भारत की वानप्रस्थ आश्रम व्यवस्था का लाभ ले सकते हैं.
2. वे अपने सारे कार्य स्वयं करने की आदत डालें, जहां तक संभव हो पाए, जैसे घर के लिए सब्जियां खरीदना, भोजन पकाना और खिलाना, अपने बैंक के कार्य और पैसे का लेन-देन, अपने स्वास्थ्य की देखभाल, सुनिश्चित दिनचर्या, इत्यादि.
3. घर में परिवारजनों के बीच व्यर्थ हस्तक्षेप से बचें और अपने जीवनशैली से मतलब रखें.
4. अगर वे प्रसन्नता से आपको कुछ बता रहे हैं, तो अवश्य ध्याम से सुनें, पर हमेशा ऐसी आशा न रखें.
5. अपने समय को ऐसे व्यवस्थित कर लें कि आपके पास किसी फालतू बात के लिए कोई समय ही न बचे, जैसे प्रातःकाल भ्रमण पर जाना, अपने अन्य वृद्ध मित्रों से मिलना, अपने घर के सुनिश्चित कार्य करना, कुछ समय सत्संग या संगीत में व्यतीत करना, खुद पढ़ना और समाज के वंचित वर्ग के बच्चों को कुछ पढ़ाना, अपने शरीर को आराम देना, इत्यादि.
6. भले ही आपकी संतानें और परिवारजन अच्छे हों या बुरे, दोनों ही स्तिथियों में हृदय में एक स्वीकार भाव रखें या रखने का प्रयास करें.
7. जीवन में जो भी मिला है उसके लिए शुक्रगुज़ार हों, और जो भी नहीं मिला उसके लिए उपेक्षा का भाव रखें.
8. हमेशा आत्मचिंतन करें, जिसके फलस्वरूप आपका वृद्ध जीवन निश्चित ही अधिक खुशहाल रहेगा.
2. वे अपने सारे कार्य स्वयं करने की आदत डालें, जहां तक संभव हो पाए, जैसे घर के लिए सब्जियां खरीदना, भोजन पकाना और खिलाना, अपने बैंक के कार्य और पैसे का लेन-देन, अपने स्वास्थ्य की देखभाल, सुनिश्चित दिनचर्या, इत्यादि.
3. घर में परिवारजनों के बीच व्यर्थ हस्तक्षेप से बचें और अपने जीवनशैली से मतलब रखें.
4. अगर वे प्रसन्नता से आपको कुछ बता रहे हैं, तो अवश्य ध्याम से सुनें, पर हमेशा ऐसी आशा न रखें.
5. अपने समय को ऐसे व्यवस्थित कर लें कि आपके पास किसी फालतू बात के लिए कोई समय ही न बचे, जैसे प्रातःकाल भ्रमण पर जाना, अपने अन्य वृद्ध मित्रों से मिलना, अपने घर के सुनिश्चित कार्य करना, कुछ समय सत्संग या संगीत में व्यतीत करना, खुद पढ़ना और समाज के वंचित वर्ग के बच्चों को कुछ पढ़ाना, अपने शरीर को आराम देना, इत्यादि.
6. भले ही आपकी संतानें और परिवारजन अच्छे हों या बुरे, दोनों ही स्तिथियों में हृदय में एक स्वीकार भाव रखें या रखने का प्रयास करें.
7. जीवन में जो भी मिला है उसके लिए शुक्रगुज़ार हों, और जो भी नहीं मिला उसके लिए उपेक्षा का भाव रखें.
8. हमेशा आत्मचिंतन करें, जिसके फलस्वरूप आपका वृद्ध जीवन निश्चित ही अधिक खुशहाल रहेगा.