1. किसी व्यक्ति की पहली परख उसकी बातचीत से ही हो जाती है.
2. अपनी भावनाओं और आंसुओं पर नियंत्रण रखें जिससे कि आप मज़ाक का पात्र न बनें.
3. बिना सोचे-समझे एक दूसरे की जाति, धर्म, राजनैतिक दृष्टिकोण और व्यक्तिगत पसंद पर अपनी टिप्पणी न करें.
4. हर समय मज़ाक की मनोदशा में बात करने कि कोशिश न करें.
5. किससे किस तरह की बात करनी चाहिए, कब क्या कहना चाहिए आदि का ध्यान हमेशा रखें.
6. दूसरों की मनोदशा को पहले ही भांप लें ताकि आपको उनके गुस्से का शिकार न होना पड़े.
7. अपनी भाषा को वातावरण के अनुरूप ढालें.
8. यह जरूरी नहीं की बिना बात के भी आप बीच-बीच में अपनी बातों से लोगों को परेशान करें या उनकी एकाग्रता भंग करें.
9. हमेशा नज़रें उठा कर बातें करें, क्योंकि इससे आत्मविश्वास झलकता है.
10. तेज आवाज में, या बेवजह हंस कर, प्रतिक्रिया देना आपके व्यक्तित्व पर सवाल उठा सकता है.
2. अपनी भावनाओं और आंसुओं पर नियंत्रण रखें जिससे कि आप मज़ाक का पात्र न बनें.
3. बिना सोचे-समझे एक दूसरे की जाति, धर्म, राजनैतिक दृष्टिकोण और व्यक्तिगत पसंद पर अपनी टिप्पणी न करें.
4. हर समय मज़ाक की मनोदशा में बात करने कि कोशिश न करें.
5. किससे किस तरह की बात करनी चाहिए, कब क्या कहना चाहिए आदि का ध्यान हमेशा रखें.
6. दूसरों की मनोदशा को पहले ही भांप लें ताकि आपको उनके गुस्से का शिकार न होना पड़े.
7. अपनी भाषा को वातावरण के अनुरूप ढालें.
8. यह जरूरी नहीं की बिना बात के भी आप बीच-बीच में अपनी बातों से लोगों को परेशान करें या उनकी एकाग्रता भंग करें.
9. हमेशा नज़रें उठा कर बातें करें, क्योंकि इससे आत्मविश्वास झलकता है.
10. तेज आवाज में, या बेवजह हंस कर, प्रतिक्रिया देना आपके व्यक्तित्व पर सवाल उठा सकता है.