बच्चों की भावनाओं का सम्मान करें

1. बच्चे के नाम को बिगाड़ कर पुकारना अनुचित है और इसे बढ़ावा न दें, क्योंकि बिगड़े नाम के साथ उसका व्यक्तित्व भी बिगड़ सकता है.
2. अच्छे अर्थ वाले सही नाम बच्चे के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं.
3. किसी भी कारणवश दूसरों के आगे अपने बच्चे पर आपा न खोएं, और न ही अपमानित करें, क्योंकि वह  विद्रोही बन सकता है या अवसाद में भी जा सकता है.
4. इसकी बजाय अकेले में उससे बात करें, उसे अपने बचाव का मौका दें, और उसके बाद ही अपना फैसला ले कर तार्किक तरीके से समझाएं, क्योंकि इस तरह से समझाई गई बात का गहरा अच्छा असर पड़ता है.
5. हर बच्चा दूसरे से अलग होता है, खूबियों में भी और हुनर में भी, इसलिए उसकी इच्छा दबाये बगैर उसे वही बनने में अपनी मदद दें जो वह बनना चाहता है.
6. बच्चे की ज़िन्दगी पर अपना अधिकार न जमाएं, और उसे पूरे सम्मान के साथ अपनी ज़िन्दगी और ज़िन्दगी से जुड़े फैसले लेने दें, ताकि उम्र बढ़ने के बाद उसके अंदर घुटन, छटपटाहट, निराश और गुस्सा नहीं, बल्कि संतुष्टि, खुशी, अपनत्व और प्रेम बढ़ेगा.
7. बच्चे से तू-तड़ाक कह कर अशिष्ट और असभ्य तरीके से बातें न करें, क्योंकि हो सकता है की कल वह भी दूसरों से और आप से भी इसी लहजे में बात करने लगे, और खुद आपको ही दूसरों के आगे लज्जित होना पैड सकता है.
8. बच्चे को नाकारा, आलसी, बेवकूफ, जाहिल, नालायक जैसे शब्दों से न नवाज़ें, क्योंकि आप उसे जितना ज्यादा झिड़केंगे या उसकी कमियां गिनाएंगे, उसके उतना ही ज्यादा गलत रास्ते पर जाने की संभावना बढ़ती जाएगी.
9. आपकी देखादेखी पड़ोसी और रिश्तेदार भी उसकी कमियां गिनाने लग जाएंगे, जिससे बच्चे के अंदर नकारात्मक सोच विकसित होगी, इसलिए इसके विपरीत उसकी छोटी-बड़ी उपलब्धियों की तारीफ करें ताकि बच्चे के अंदर सकारात्मकता बढ़े.
10. किसी भी कारणवश, बच्चे को कभी भी उसके छोटे भाई-बहनों के सामने न डांटे या अपमानित करें, क्योंकि वे भी उसका मजाक बनाएंगे और कद्र करना छोड़ देंगे, जिससे बड़े बच्चे के मन में कुंठा बैठेगी, इसलिए अकेले में ही उसे कहें.