क्या हम त्योहारों का आनंद इस तरह ले सकते हैं?

क्या मैं बदल सकता हूं कि मैं लोगों को कैसे *संबोधित* करूं?

क्या मैं अपने *धूल भरे दिल* को साफ़ कर सकता हूँ?

क्या मैं *अज्ञानता* के अपने मार्ग पर सवाल उठा सकता हूं?

क्या मैं अपने दिल से *कड़वाहट* निकाल सकता हूं?

क्या मैं अपने *अहंकार* को फोड़ सकता हूं?

क्या मैं भगवान को *कोमलतापूर्वक* अपने दिल में आने दे सकता हूं?

*त्योहारों का शांति से आनंद लें*