किसी भी कार्य में आत्मसम्मान जरूरी है

1. यह याद रखना आवश्यक है कि आप अपना काम दूसरों से बेहतर करें, ताकि आप अपने मालिकों व वरिष्ठ पदाधिकारियों को यह सिद्ध कर सकें कि आप उनकी सर्वोत्तम कर्मचारियों की सूची में सम्मिलित होने के काबिल हैं. 

2. अधिकतर बॉस ऐसे कर्मचारियों की कर्मनिष्ठा से गदगद हो जाते हैं जो सौ फीसदी परिश्रम करते हैं.

3. तत्पश्चात, यदि आपके लिए अपना आत्मसम्मान महत्वपूर्ण है, तो आपको किसी भी कीमत पर उनकी कोई अनैतिक बात या फूहड़ और घमंडी अंदाज के सामने नहीं झुकना चाहिए.

4. अन्यथा, बेहतर विकल्प यही है कि, ऐसे स्वभाव के लोगों की जी-हुजूरी करने की बजाय कोई दूसरी जगह अपनी कर्मठता का योगदान दें.

सामूहिक चर्चा

1. कई बार कुछ विद्यार्थी अक्लमंद होते हुए भी आत्मविश्वास की कमी के कारण सामूहिक चर्चा में विफल हो जाते हैं, जिसके फलस्वरूप उनको अपने मनपसंद कॉलेज या कंपनी में प्रवेश नहीं मिल पाता है.

2. सर्वप्रथम, आपको सभी महत्वपूर्ण विषयों की उपयुक्त जानकारी होनी चाहिए, ताकि इस चर्चा में भाग लेने वाले सभी लोग आपकी बातों से सहमति जताएं.

3. इसके अलावा, आपको पूरे आत्मविश्वास से अपने तर्क के समर्थन में बोलना चाहिए, क्योंकि अब हर कॉलेज या कंपनी इसी तरीके से आपके ज्ञान का विश्लेषण करना चाहती है.

4. ऐसी सामूहिक चर्चा में छात्रों की सोचने की क्षमता और रचनात्मकता भी परखी जाती है, इसलिए आपके पास किताबी और सैद्धांतिक ज्ञान के अलावा अपने कौशल व कल्पनाशक्ति द्वारा प्रत्येक स्तिथि से निपटना भी आना चाहिए.

5. कभी-कभी कुछ ऐसे विषयों पर भी सामूहिक चर्चा कराई जाती है जिससे यह पता चल सके कि छात्र में अपना संतुलन खोए बिना किसी विवादपूर्ण स्तिथि से अच्छी तरह निपटने की क्षमता कैसी है, इसलिए अपने विचार रखते समय सहनशील रहें.

6. जब चर्चा किन्ही राय मांगने वाले विषयों पर हो, तो आप अपनी निष्पक्ष राय समूह के समक्ष असरदार तरीके से रखें, ताकि आप अपने नेतृत्व के गुणों को उजागर कर सकें.

7. कुछ कॉलेज और कंपनियां ऐसे समूह चर्चा भी करवाते हैं जिसमे छात्रों के सामने कोई वर्तमान समस्या या स्तिथि पेश की जाती है, और फिर छात्रों से आपसी बहस द्वारा उसका समाधान निकालने के लिए बोला जाता है, इसलिए नवीनतम घटनाओं के प्रति जागरूक रहें.

क्या आपका बच्चा अभद्र भाषा सीख रहा है?

1. अपने चंचल मन के कारण, बच्चा बाहर के वातावरण से अक्सर अभद्र भाषा बोलना भी सीख जाता है, जो शिष्टाचार के विरुद्ध है.

2. कई बार वह आपके सामने गाली नहीं देता, मगर आपके पीठ पीछे वह असभ्य भाषा का इस्तेमाल कर रहा होता है.

3. इसलिए जैसे ही आपको इसकी भनक लगे, तो उसे तुरंत टोकें ताकि वह दोबारा ऐसे शब्दों का प्रयोग न करे.

4. बच्चे से उसके दोस्तों के बारे में जानें, और उसे अच्छे दोस्तों व बुरे दोस्तों में फर्क को भी समझाएं.

5. माता-पिता को बच्चे की पढ़ाई पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए, ताकि उसका मन अध्ययन में लगे और वह बुरी आदतों से दूर रहे.

6. बचपन से ही बच्चे को नैतिकिता का पाठ विभिन्न कहानियों व किताबों के द्वारा जरूर पढ़ाना चाहिए, क्योंकि इससे बच्चे में गंभीरता आती है और आगे चलकर वह कभी बुरी संगत में नहीं पड़ता है.

7. अच्छी सीख के अलावा, माता-पिता बच्चे को अच्छे और बुरे इंसानों के बीच फर्क को भी समझाएं, ताकि वह ऐसी गलत संगत में न पड़े जिससे उसका भविष्य और माता-पिता की छवि खराब हो.

आगे बढ़ने के लिए खुद को जानें

1. अगर आप वास्तव में अपने कार्य को लेकर गंभीर हैं, तो खुद से बहाने बनाना बन्द करें, क्योंकि यह आपकी व्यवसायिक प्रगति को प्रभावित करता है और एक गन्दी आदत बनकर कभी भी सफलता के द्वार नहीं खुलने देता है.

2. किसी भी काम में सफलता प्राप्त करने के लिए आपको खुद पर विश्वास होना आवश्यक है, क्योंकि अगर आप खुद पर भरोसा नहीं करेंगे तो फिर दूसरे आप पर भरोसा कैसे कर सकते हैं.

3. सफलता पाने का एक जरूरी मन्त्र आपका केंद्रीकरण भी है, क्योंकि इसका सीधा असर आपके काम पर दिखाई देता है और आप बेहतर तरीके से अपना कार्य कर पाते हैं.

4. कभी भी दूसरों को अपने से ज्यादा अच्छा कार्य करते देख कर ईर्ष्या न करें बल्कि उनसे प्रेरित हों, क्योंकि इससे आपका उत्साह दोगुना हो जाएगा और आपकी ऊर्जा को एक सकारात्मक दिशा भी मिलेगी.

5. बहुत से लोगों को अपने व्यवसाय में भयावह दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है, जिनसे बचने के लिए वे छोटे गलत तरीकों को अपनाने की कोशिश करते हैं जो भविष्य में काफी घातक साबित होता है, इसलिए अगर आप वास्तव में सफलताओं के शिखर पर जाना चाहते हैं तो आपको अपने डर और समस्याओं का सामना करना भी सीखना पड़ेगा.

6. हालांकि जीवन में सब कुछ आपके अपेक्षित तरीके से नहीं हो सकता है, लेकिन अपने व्यवसाय से सम्बंधित एक रूपरेखा आपके काम को आसान बनाती है, इसलिए इसको भी कार्यान्वन में लाएं.

नरम कौशल (सॉफ्ट स्किल्स) का महत्व

1. मूल रूप से, सॉफ्ट स्किल्स वे हैं जो हमें सामाजिक रूप से लोगों से जुड़ने में मदद करती हैं, जैसे नेतृत्व करने की क्षमता, मदद करने और लेने के गुण, लोगों को आपके दृष्टिकोण को स्वीकार करने के लिए मनाने की क्षमता आदि.

2. इसके लिए आपके पास सोशल मीडिया के माध्यम से संचार कौशल, ऑनलाइन विशेषज्ञता, और बाजार व सामाजिक नेटवर्किंग के कौशल आवश्यक हैं.

3. आजकल हर जगह आपकी सॉफ्ट स्किल्स की क्षमता को आपके व्यक्तित्व का एक अनिवार्य और महत्वपूर्ण अंग के रूप में देखा और परखा जाता है, जिसका अर्थ है संचार के माध्यम से अपना काम करने में सक्षम होने में भावनात्मक परिपक्वता, क्योंकि इनके बिना इस आभासी दुनिया में परिणाम प्राप्त करना आसान नहीं है.

4. इसे हम कई नामों से भी जानते हैं जैसे जीवन कौशल, उत्तरजीविता कौशल, लोगों को संभालने का कौशल इत्यादि, जिनमें प्रमुख हैं संचार और पारस्परिक कौशल, दल कौशल, बातचीत कौशल, समय प्रबंधन कौशल, व्यवसाय प्रबंधन कौशल और सामाजिक अनुग्रह.

5. ये कौशल आपकी परवरिश के तौर-तरीके से संबंधित होते हैं, जो परिवार, स्कूल में सिखाई जाने वाली अच्छी आदतें, अनुशासन, नैतिक मूल्यों आदि को दर्शाते हैं, जिनसे आपके जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों किस्म का प्रभाव पड़ता है.

6. आज संस्थानों का चरित्र पूरी तरह वैश्वीकृत हो चुका है, और इन में काम करने वाले लोगों को एक देश से दूसरे देश अलग-अलग सांस्कृतिक पृष्टभूमि में जाकर काम करने की जरूरत होती है, इसलिए ये संस्थान नौकरी के इच्छुक लोगों में से उन्हें प्राथमिकता देते हैं जो अपने जीवन में परिवर्तन को स्वीकार करने में सक्षम हैं.

अगला समय हमेशा आता है

1. हारने व जीतने वालों के बीच सामान्य सा फर्क देखने को मिलता है - जो हार चुके होते हैं, वे अक्सर अपनी कल्पनाओं में भी हार को हावी होने देते हैं, जबकि जीतने वाले अक्सर यह अपनी जीत की व्यावहारिकता सिद्ध होने के बाद ही तय करते हैं.

2. अगर सफलता चाहिए तो हार से डरने की बजाय उसका डटकर सामना करना सीखना होगा, असफलताओं को चुनौती समझ उन्हें स्वीकार कर दोबारा कोशिश करनी होगी, और अपने लक्ष्यों के प्रति ईमानदार रहना होगा.

3. हमें अक्सर ऐसे लोग भी मिलते हैं जो कामचोर के साथ-साथ लापरवाह होते हैं, और अपनी असफलता की जिम्मेदारी कभी नहीं स्वीकार कर किस्मत को ही दोषी मानते हैं, इसलिए ऐसे लोगों से हमेशा दूर रहें क्योंकि वे आपको भी निराशावादी बना सकते हैं और वे कभी दूसरों की सफलता भी बर्दाश्त नहीं कर पाते.

4. जब हम अपनी हार को भी एक चुनौती मानते हैं, तब हमारी कार्यक्षमता और कल्पनाशीलता में भी वृद्धि होती है और हम निरंतर आगे बढ़ते रहते हैं.

5. हमें हमेशा अपने पेशे से संतुष्ट होना चाहिए, और मेहनत कर उसमे निडरता से आगे बढ़ने की चेष्ठा करते रहना चाहिए.

कार्य

1. जब आप कोई काम कर रहे हों, तो कुछ भी परे न सोचें; वह सबसे अच्छा काम करता है जो बिना किसी स्वार्थ के काम करता है.

2. इसलिए, ठीक से काम करने के लिए, आपको पहले आसक्ति का विचार छोड़ना होगा; बिना लगाव के किए गए काम से कभी भी दुखी या उदास नहीं होंगे.

3. वह, जो अच्छी कार्रवाई में देखता है कि उसमें कुछ बुराई है, और बुराई के बीच में, देखता है कि उसमें कहीं कुछ अच्छा है, उसने काम का रहस्य जाना है.

4. सबसे बड़ा काम केवल तब किया जाता है जब उसे करने का कोई स्वार्थी उद्देश्य न हो; दूसरों के लिए किए गए काम का मुख्य प्रभाव खुद को शुद्ध करना है.

5. हम जितने शांत रहेंगे, हमारे लिए उतना ही अच्छा होगा, और फिर हम और काम कर सकते हैं; जितना अधिक आप दूसरों की मदद करने के लिए काम करते हैं, उतना ही आप अपने आप की मदद करते हैं.

6. हमें अपना काम कर्तव्य के निमित्त करना चाहिए, न कि प्रतिफल की आशा के लिए; हमारा कर्तव्य काम करना है, परिणाम खुद का ख्याल रखेंगे.

7. वह काम करें जो आप महसूस करते हैं और दुनिया को इसे देखने दें; हम दुनिया के लिए अच्छा करने के लिए महान काम करेंगे, न कि नाम और शोहरत के लिए.

8. अनासक्त होकर काम करने से सबसे अधिक आनंद और स्वतंत्रता मिलती है; वह काम अकेले अनासक्ति और आनंद लाता है, जिसमें हम अपने मन के स्वामी के रूप में काम करते हैं.

9. सभी कार्यों में उतार-चढ़ाव, तीव्रता और सुस्तता की अवधि होती है; हर काम को सफल होने से पहले सैकड़ों कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है.

10. कोई भी काम छोटा नहीं है, इसका अंदाजा सिर्फ नतीजों से लगाया जा सकता है; महान कार्य को लंबे समय तक लगातार प्रयास की आवश्यकता होती है.

दुर्बलता

1. यह सही नहीं है कि आप खुद को कमजोर समझते हैं; कमजोर के पास कोई इच्छाशक्ति नहीं है, और वह कभी काम नहीं कर सकता.

2. कमजोरी सभी प्रकार के दुखों की ओर ले जाती है, शारीरिक और मानसिक; अगर आप खुद को मजबूत समझते हैं, तो आप मजबूत होंगे.

3. हम झूठ बोलते हैं, चोरी करते हैं, मारते हैं और अन्य अपराध करते हैं क्योंकि हम कमजोर हैं; हम दुखी हो जाते हैं क्योंकि हम कमजोर हैं.

4. एकमात्र संत वह आत्मा है जो कभी कमजोर नहीं होती, हर चीज का सामना करती है, और मजबूत मरने का संकल्प लेती है.

सत्य

1. सत्य अकेला जीतता है, और यह सच है; यदि सत्य नहीं है, तो जीवन का उपयोग क्या है.

2. हम हमेशा सच्चाई के लिए हैं, लेकिन कभी इसे प्राप्त नहीं करना चाहते; हालांकि हम सभी लंबे समय में सच्चाई की ओर ही आएंगे.

3. सत्य कभी भी हमारे पास नहीं आ सकता जब तक हम स्वार्थी हैं; हमें पहले सत्य की झलक प्राप्त करनी होगी.

4. सत्य को खड़े होने के लिए किसी सहारे की आवश्यकता नहीं होती; यह अपने स्वयं के साक्ष्य पर खड़ा है, इसे सही साबित करने के लिए किसी अन्य गवाही की आवश्यकता नहीं है.

5. यह अकेला सत्य है जो ताकत देता है; सच्चाई के बच्चे हमेशा के लिए जीते हैं.

6. सबसे बड़ी सच्चाई दुनिया में सबसे सरल चीजें हैं, हमारे अपने अस्तित्व की तरह ही सरल हैं.

7. सत्य किसी की संपत्ति नहीं है; कोई जाति, कोई धर्म, कोई व्यक्ति इस पर कोई विशेष दावा नहीं कर सकता.

8. सत्य अक्सर सहज होने से बहुत दूर है; यह वह नहीं है जो हम देखते हैं, लेकिन सत्य का एक शब्द भी कभी नहीं खो सकता है.

9. विचार, शब्द और कर्म पूरी तरह से सच होने चाहिए; सत्य कभी असत्य के साथ सहयोगी नहीं होगा.

10. सत्य की जीत तभी होती है जब कोई शांतिपूर्ण मार्ग अपनाता है; जो भी सत्य है वह हमेशा के लिए रहेगा, जो सत्य नहीं है उसे कोई भी संरक्षित नहीं कर सकता है.

11. सत्य का कोई समझौता नहीं होना चाहिए; सत्य के लिए सब कुछ बलिदान किया जा सकता है, लेकिन सत्य को किसी भी चीज के लिए बलिदान नहीं किया जा सकता है.

12. अगर दुनिया के इस नर्क में कोई एक व्यक्ति के दिल में एक दिन के लिए भी थोड़ी खुशी और शांति ला सकता है, तो यह सत्य है.

बच्चों की आदतें खुद न बिगाड़ें

1. आप अपने बच्चों की हर ख्वाहिश को पूरा करने का सपना संजोते हैं, और बच्चों के प्यार-दुलार में कोई कमी नहीं रखते, लेकिन जब बच्चों की आदतें बिगड़ने लगती हैं तो आप आसपास के वातावरण को दोषी ठहराते हुए नजर आते हैं.

2. हर समय बच्चों की तारीफ करना उनके मानसिक विकास के लिए अच्छा नहीं है, खासकर झूठी तारीफ करना, और उन्हें टोकना और समझाना भी बहुत जरूरी है जिससे वे भ्रम में न रहें.

3. बच्चों को बिल्कुल आजाद छोड़ देना अच्छा नहीं होता है, क्योंकि इससे उनका व्यवाहारिक और मानसिक विकास बाधित होता है.

4. बच्चों के प्रति हर समय चिंतित रहना भी सही नहीं है, क्योंकि वे अपने जीवन में शामिल होने वाले लोगों के मनोभावों से भी सीखकर अपने को मानसिक रूप से तंदरुस्त करते हैं.

5. हर छोटी-छोटी बात पर बच्चों की मदद करना भी अच्छा नहीं है, और बच्चों को खुद ही अपनी समस्याओं का हल खोजने की कोशिश करने देना चाहिए, जिससे वह स्वतन्त्र जीवन जीने योग्य बन सकें.

6. बच्चों को यह भी बताएं कि कौन सी चीज उनके लिए उपयोगी है और कौन नहीं, जिससे वे उनका महत्व समझें, और इसी तरह रिश्तों का, पैसों का और भोजन का महत्व भी उन्हें बताएं.

सफलता के नुस्खे

1. महान सपने देखने वालों के महान सपने हमेशा पूरे होते हैं.

2. इससे पहले कि सपने सच हों, आपको सपने देखने होंगे.

3. सपना वह नहीं है जो आप नींद में देखें, बल्कि वो है जो आपको नींद ही नहीं आने दें.

4. सफल होने के लिए आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकचित्त निष्ठावान होना पड़ेगा.

5. इंसान को कठिनाईयों की आवश्यकता होती है, क्योंकि सफलता का आनंद उठाने के लिए ये जरूरी हैं.

6. वे हमारी छुपी हुई सामर्थ्य शक्तियों को उजागर करने में हमारी मदद करती हैं.

7. कठनाइयों को यह जान लेने दें कि आप उनसे भी ज्यादा कठिन हैं.

8. आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत, असफलता नामक बीमारी को मारने के लिए सबसे बढ़िया दवाइयां हैं, और यही आपको एक सफल व्यक्ति बनाती हैं.

बच्चों के दंड और पुरस्कार में संतुलन रखें

1. दंड एक उपचारात्मक तरीका है जिससे बच्चों को भविष्य में अपने कार्य के प्रति अधिक सावधान बनाता है.

2. पुरस्कार  एक प्रेरक है जो बच्चों का मनोबल बढ़ाता है, आत्मविश्वास जगाता है और पहचान बनाता है.

3. चूंकि बाल मन कोमल होता है और बाल बुद्धि कच्ची होती है, इसलिए उचित सोच-विचार करने के बाद ही दंड देना चाहिए.

4. बच्चों को इसके द्वारा यह अहसास करवाया जाना चाहिए कि उनकी करनी से किसी को कितनी हानि-पेरशानी हुई है.

5. मीठी मुस्कान के साथ बोले गए शाबाश, बढ़िया, बहुत खूब जैसे शब्द भी बच्चों में चमत्कार उत्पन्न कर सकते हैं.


अपनी प्रतिभा को पहचानना ही सफलता का मूलमंत्र है

1. ज्यादातर लोग अपने प्रतिभा को जानने की प्रक्रिया ही नहीं जानते हैं, जिसके कारण वे उससे अनभिज्ञ रहते हैं, या जो कौशल दूसरों को उनमे दिखता है, वे उसे ही अपनी प्रतिभा समझने की गलती कर बैठते हैं.

2. एक समय ऐसा भी आता है जब आपको अनेक चीज करना पसन्द आता है और इन्हें आप अपनी प्रतिभा समझने लगते हैं, जबकि ये वास्तव में आपके कौशल हैं, प्रतिभा नहीं.

3. प्रतिभा आपके व्यक्तित्व का एक अभिन्न जन्मजात हिस्सा है, और आगे चलकर यह आपकी समग्रता का हिस्सा हो जाता है, हालांकि इसे विकसित होने और तराशे जाने की जरूरत होती है.

4. एक बार जब आप कौशल और प्रतिभा के बीच फर्क को समझ जाएंगे, तो आप अपनी प्रतिभा के विकास के लिए प्रयास कर पाएंगे, और इसे पहचानने के सबसे बढ़िया तरीकों में से एक है दूसरों से मिलने वाली निष्पक्ष प्रतिक्रियाओं व प्रशंसा पर गौर करना.

5. इसके अलावा आप खुद से सही सवाल पूछें कि आपका कौन सा कौशल आपके मन पर ज्यादा असर डालता है, आनंददायक और मजा आता है, और जिसे आप मात्र कोई लक्ष्यप्राप्ति के लिए नहीं करते हैं.

6. यही आपकी सच्ची प्रतिभा है.

खुद को प्यार करना हमारे जीवन की संजीवनी है

1. अपने आप से प्रेम करने का अर्थ है स्वयं को निखारना, अपने अंदर की अच्छाइयों को खोजना, अपने लिए सम्मान प्राप्त करना, अपने आपको प्रेरित करते रहना और अपने साथ हुई हर अच्छी-बुरी घटना की जिम्मेदारी खुद पर लेना.

2. जब आपके पास प्रेम और सम्मान प्रचुर मात्रा में होगा, तभी आप इन्हें दूसरों के साथ बांट पाएंगे और खुले दिल से किसी और को प्यार और सम्मान करने में सक्षम हो पाएंगे.

3. जब तक आप खुद की आलोचना करना बन्द नहीं करेंगे, आप कभी भी अपने से प्यार नहीं कर सकते, इसलिये दूसरों की नकारात्मक आलोचनाओं को न सुनें, अपने आप को पहचानें और अपनी असली ताकत को समझें.

4. अगर अपने जीवन में डर को जगह देंगे, तो डर आपकी खुशियों और प्यार को समाप्त कर देगा, इसलिए किसी खुशहाल यादगार बात को सोचने लगें, जिससे आपको मानसिक रूप से खुशी मिलेगी और आपका डर निकल जाएगा.

5. अगर आप हमेशा स्वस्थ रहेंगे, तो आप मानसिक रूप से मजबूत रहेंगे और कई प्रकार की बीमारियों से दूर रहेंगे, इसलिए हमेशा अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें तथा अपने जीवन को खुशनुमा बनाए रखें.

6. नकारात्मक बातें और आलोचनाएं हमेशा मनुष्य के भीतर की भावनाओं को तोड़ देती हैं, इसलिए छोटे-छोटे कार्यों पर की गयी अपनी मेहनत की खुद भी प्रशंसा करने से हमको समर्थन मिलता है.

7. कोई व्यक्ति आपकी मदद या समर्थन करे या ना करे, खुद का समर्थन होना बहुत जरूरी है, इसलिए अपने आपको तथा अपने विचारों को हमेशा समर्थन देने के लिए आपके पास रास्ता तैयार रहना चाहिए, जिसमे आपके मित्र और माता-पिता भी मदद कर सकते हैं.

अपने जीवन के उद्देश्य को कैसे साकार करें?

1. कई बार ऐसा होता है कि कड़ी मेहनत के बाद भी आपको मंजिल नहीं मिल पाती है और आपके सपने टूट जाते हैं, लेकिन ईमानदारी से की गई मेहनत कभी बेकार नहीं जाती, और वह कभी न कभी आपके जीवन में काम आती रहेगी.
2. जीवन में उतार-चढ़ाव आते ही हैं, जिनसे आपके अनुभवों का दायरा बढ़ता है, क्योंकि यह कभी नहीं होता कि आपने जो तय किया है वही आपके वातावरण ने तय कर रखा हो, इसलिए अगर आपके इरादे मजबूत हैं, तो सफलता अवश्य मिलेगी.
3. जीवन में उद्देश्य का होना बहुत जरूरी है, और एक बार जब यह तय हो जाए, तब फिर आप उसकी दिशा में छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करें और कदम दर कदम आगे बढ़ें.