1. सुनना कुछ भी सीखने का सबसे महत्वपूर्ण भाग है.
2. यह अक्सर देखा गया है कि बच्चे कोई भी बात सुने बिना ही उस पर अपनी प्रतिक्रिया देने लगते हैं, जिसके फलस्वरूप वे कुछ नया नहीं सीख पाते.
3. इसलिए उन्हें कच्ची उम्र से ही ये आदत डालनी चाहिए कि वे किसी भी बात को ध्यान से सुनें व समझें कि उन्हें क्या बताया जा रहा है, और फिर उस पर अमल करें.
4. एक सक्रिय श्रोता किसी भी बातचीत में सकारात्मक रूप से हिस्सा लेता है, सुनी हुई बातों को याद रखता है और उन बातों पर जिज्ञासा दिखाते हुए प्रश्न करता है.
5. जब बच्चा सक्रिय श्रोता होता है, तब उसे किसी तरह का संदेह या गलतफहमी नहीं होती है और वह सुनी हुई बात पर बखूबी अमल कर सकता है.
6. इससे वह अपने को बहुत ज्यादा आत्मविश्वासी भी महसूस करता है, क्योंकि उसे पता होता है कि वह जो भी कर रहा है, वह ठीक कर रहा है क्योंकि उसने उस काम के लिए दिए गए दिशा-निर्देशों को अच्छी तरह से सुना और उसका अनुपालन किया है.