सारी कमजोरी, सारा बंधन, कल्पना है.
कमजोर के पास कोई इच्छाशक्ति नहीं है, और वह कभी काम नहीं कर सकता.
हम झूठ बोलते हैं, चोरी करते हैं, मारते हैं और अन्य अपराध करते हैं क्योंकि हम कमजोर हैं.
कमजोरी सभी प्रकार के दुखों को जन्म देती है, शारीरिक और मानसिक.
यहाँ दो शाप हैं: पहला हमारी दुर्बलता और दुःख, दूसरा हमारा द्वेष और सूखा हुआ हृदय.
अगर आप खुद को मजबूत मानते हैं, तो आप मजबूत होंगे.