बच्चों में अनुशासन

1. दुनिया के ज्यादातर देशों में बच्चों पर हाथ उठाना अब गैरकानूनी है, न केवल माता-पिता बल्कि शिक्षक के लिए भी, क्योंकि हिंसा से बच्चों में सुधार नहीं लाया जा सकता, हालांकि छोटे बच्चों को अनुशासित करना काफी कठिन होता है.

2. बच्चों को लगातार शारीरिक या मनोवैज्ञानिक सजा देने से वे सजा पाने के आदी हो जाते हैं, और फिर इसका उनपर कोई असर नहीं पड़ता है.

3. वास्तव में बच्चों को नियमित सजा देने से दीर्घकालीन लक्ष्य, जैसे अच्छा व्यवहार सीखना व बेहतर नागरिक बनना, नष्ट हो जाते हैं, हालांकि थोड़े समय के लिए घर या कक्षा में शांति स्थापित हो जाती है.

4. यह एक कटु सत्य है कि पूरी दुनिया में आज भी माता-पिता, शिक्षक व प्रशासक बच्चों को अनुशासित करने के लिए इनाम व सजा व्यवस्था पर बहुत अधिक भरोसा करते हैं.

5. इसके विपरीत उन्हें बच्चों में उत्पन्न समस्याओं के निदान के बारे में सोचना चाहिए, जो उनके अनुशासन को बनाए रखने में बाधक हैं, क्योंकि ऐसा करने से बच्चे आसानी से अनुशासन के दायरे में अपने को ले आते हैं.

6. इसलिए आपको बच्चे से शांति से बात करनी चाहिए कि उसके व्यवहार के पीछे असली समस्या की जड़ क्या है, और वैकल्पिक रचनात्मक योजनाएं तैयार करनी  चाहिए.

7. अधिकतर शिक्षक बच्चे की समस्या को विद्यालय के बाहर, यानी बच्चों के घर की, देन मानते हैं, इसलिए वे उनकी समस्या के निदान के प्रति उदासीन रहते हैं, जबकि यह समस्या घर की नहीं, बल्कि बच्चों की मानसिक क्षमता की होती है.

8. शिक्षकों को इस बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि विद्यालय का वातावरण बच्चे के व्यवहार में सकारात्मक अंतर लाए, भले ही घर पर बच्चे की स्तिथि चाहे जो भी हो.