आपकी सफलता आपके हाथ में है

1. सफलता हासिल करने के लिए आप सबसे पहले दूसरों की बातों को सुनना बन्द करें, और खुद से सवाल करें कि आप जीवन में क्या करना चाहते हैं, और जब आपके दिल से जवाब मिल जाए तो उसमें जुट जाएं.

2. असमंजस की स्तिथि में व्यक्ति कभी भी सफलता हासिल नहीं कर पाता है और जीवन में वही व्यक्ति आगे बढ़ता है जो सही और कठोर निर्णय लेता है, इसलिए कभी भी कठिन फैसले लेने से कतराना नहीं चाहिए.

3. जीवन में कोई व्यक्ति पूर्ण नहीं होता है क्योंकि हर किसी में कोई न कोई कमी जरूर होती है, इसलिए अगर कोई व्यक्ति अपनी अंदर की कमियों को स्वीकार कर उन्हें सुधारने की कोशिश करता है, तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है.

4. असफलता ही सफलता है, अगर हम उससे सीख लें.

कार्यालय में बातचीत के शिष्टाचार

1. हमेशा ध्यान दें कि आपको कब क्या कहना चाहिए और किससे कैसे बात करनी चाहिए.

2. हर समय मजाकिएपन में बात करने की कोशिश न करें.

3. व्यक्तियों के मौजूदा तेवर के हिसाब से ही उनसे बात करें.

4. अपनी भावनाओं में बहकर घरेलू अनबन, या किसी परेशानी को, कार्यालय में व्यक्त न करें.

5. कार्यालय को अपना घर समझने की गलती कतई न करें.

6. यह जरूरी नहीं है कि आप बेवजह दूसरों की बातों में हस्तक्षेप करें.

7. कार्यालय में वातावरण के विपरीत भाषा का प्रयोग कभी न करें.

8. किसी सहकर्मी से हमेशा नजरें मिलाकर बातें करें, चुराकर नहीं.

9. किसी बात पर तेज आवाज में अपनी प्रतिक्रिया देना आपके व्यक्तित्व पर सवाल उठा सकता है.

10. आपके द्वारा किसी बात पर बेवजह हंसना या ठहाके लगाना भी कार्यालय वातावरण के खिलाफ है.

बच्चों की परवरिश में इन गलतियों से बचें

1. धोखा देना, झूठ बोलना, चोरी करना, किसी को भावनात्मक या शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाना जैसी बच्चों की गलतियां कभी नजरअंदाज न करें, क्योंकि इससे आपके बच्चों का भविष्य खराब हो सकता है.

2. अगर आप अपने बच्चों की अत्यधिक प्रशंसा उनके सामने या दूसरों के सामने करते हैं, तो यह आपके बच्चों को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है.

3. अपने बच्चों की व्यक्तिगत प्रतिभा को पहचानें और उनकी तुलना दूसरे बच्चों से कभी न करें, क्योंकि ऐसा करने से आप अपने बच्चों पर बेवजह दबाव देते हैं जो उनके भविष्य के लिए सही नहीं है.

4. बच्चों के लिए नियमों, सीमाओं और दिनचर्या को निर्धारित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि अगर आप अपने बच्चों को उनके मर्जी के अनुसार कुछ भी करने देंगे, तो इससे उनका मन हमेशा चंचल ही बना रहेगा जो गलत है.

5. अगर आप बच्चों की समस्याओं के प्रति अज्ञान हैं, तो यह अनुचित है क्योंकि आपको इन्हें पहचान कर इनसे निपटने का समाधान ढूंढना ही होगा, और यह प्रयास आपके बच्चों के भविष्य को बेहतर बना सकता है.

बच्चों में एक मददगार प्रकृति विकसित करें

1. छोटी उम्र में बच्चों को सिखाई बातें न केवल उनका जीवन संवारती है, बल्कि इस दौरान उन्हें सिखाई गई सभी बातें ताउम्र याद भी रहती हैं.

2. इसलिए, उन्हें शुरू से ही बताएं कि कभी भी किसी की मदद करने से पीछे नहीं हटना चाहिए, और छोटे भाई-बहनों और अन्य बच्चों का विशेष ध्यान रखना और उनकी सहायता करना उनकी जिम्मेदारी है.

3. अगर वे किसी बात को लेकर गुस्सा दिखाएं, अपशब्द का इस्तेमाल करें, या फिर अपनी जिद दर्शाने के लिए अपने से छोटे लोगों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करें, तो उन्हें तुरंत रोकें, या फिर जरूरत पड़ने पर सजा भी दें.

4. इसके अलावा, बचपन से ही उन्हें अपने छोटे-छोटे काम खुद करने के लिए प्रोत्साहित करें, जिससे वे आत्मनिर्भर और अपने दम पर जीना सीखें.

बड़ी सोच

1. बड़ा सोचें, तभी बड़ी सफलता मिलेगी.

2. व्यक्ति की सोच बड़ी होगी, तो सफलता भी बड़ी होगी.

3. इसलिए व्यक्ति को बड़ा सोचना होगा.

4. जीवन में अगर कुछ बड़ा करना है, तो व्यक्ति को अपनी सोच भी बड़ी रखनी चाहिए.

अपने नेटिकेट्स का ख्याल रखें

1. ये ऑनलाइन शिष्टाचार के नियम हैं, जिनके पालन न करने पर आप परेशानी में पड़ सकते हैं.

2. अपनी ऑनलाइन भाषा का ध्यान रखें.

3. अपनी ऑनलाइन बात को लम्बा न खींचें.

4. अपने ईमेल, चैट, पाठ, पोस्ट या टिप्पणी भेजने से पहले सब कुछ अच्छी तरह से पढ़ें.

5. टाइप करते समय बड़े (कैपिटल) अक्षरों का प्रयोग न करें.

6. ईमेल भेजते समय मुख्य विषय की लाइन पर विशेष ध्यान दें.

7. किसी की निजी तस्वीरें या बातचीत दूसरों के साथ साझा न करें.

8. इमेल्स और संदेशों का जवाब समय पर दें.

9. अपनी टिप्पणियों को छोटा और स्पष्ट रखें.

10. किसी को भी लगातार ईमेल भेजकर पढ़ने के लिए मजबूर न करें.

11. अपने व्यक्तिगत जीवन की हर बात विस्तार में साझा करने से बचें.

12. गपशप करने से बचें, और निराधार बातें साझा न करें.

13. बिना अनुमति के किसी भी कॉपीराइट फोटो या सामग्री को डाउनलोड न करें.

14. किसी भी दोस्ती के अनुरोध को स्वीकार करने से पहले अच्छे से सोच लें.

15. जब तक रिश्ता बहुत खराब न हो जाए, उन्हें दोस्त सूची से हटाना अपमानजनक माना जाता है.

रवैया

1. अक्सर हमारे और हमारे लक्ष्य के बीच हमारा अपना ही नकारात्मक रवैया एक बाधा होता है, इसलिए खुद पर विश्वास रखें कि आप यह कार्य और लक्ष्य पूरा कर सकते हैं.

2. अपने रवैये को बदलने के लिए सबसे पहले ईमानदारी के साथ आत्म-विश्लेषण करें और अपनी कमजोरियों को पहचानें जिससे आपको पता चलेगा कि अपने में क्या बदलाव या सुधार करने हैं.

3. जिंदगी के हर पहलू को देखने का हमारा नजरिया, हमारा व्यवहार, हमारे महसूस करने का तरीका और हमारी समझ ही हमें कार्यस्थल पर दूसरों से अलग पहचान बनाता है और सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाता है.

4. हर कोई चाहता है कि उनके साथ काम करने वाले व्यक्ति का रवैया सही हो, क्योंकि कार्यस्थल पर सफलता के लिए सही रवैये वाले लोग और सही माहौल दोनों मायने रखते हैं.

5. अपने कार्यस्थल पर केवल सही रवैये वाले सहयोगियों से मेलजोल बढ़ाएं, क्योंकि आपकी संगति का आपकी जीविका पर गहरा प्रभाव होता है, इसलिए अगर कोई सहयोगी आपके सुधरने की राह में रोड़ा साबित हो रहे हैं, तो उनसे अपनी दूरी बनाएं.

क्या आप की प्रवित्ति झगड़ालू है?

1. हममें से बहुत से ऐसे लोग हैं, जो छोटी-छोटी बातों पर ही तिनक जाते हैं और इन बातों को भूलने के लिए सहजता से तैयार नहीं होते, बल्कि हम औरों को भड़काते भी हैं क्योंकि हम चाहते हैं कि ऐसा बार-बार हो.

2. धीरे-धीरे यह एक तरह की लत बन जाती है, और हम किसी बात पर अड़ जाते हैं और अपने अहंकार को बचाने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं.

3. इस लत से छुटकारा पाने के लिए अपने और दूसरों से अपेक्षाएं कम रखें, और दूसरों को भी यही कहें कि वे आपसे भी ज्यादा अपेक्षाएं न रखें.

4. अपने जोश का इस्तेमाल सकारात्मक लक्ष्यों को हासिल करने में करें, बजाय अपने जीवन के कटु अनुभवों को बार-बार याद करने के, जिससे कि आपके क्षमा करने का गुण उजागर हो.

5. क्षमा करने का मतलब यह नहीं है कि उसी व्यक्ति से दोबारा जुड़ा जाए, बल्कि यह अपने आपसे वायदा है कि आप अच्छा सोचेंगे क्योंकि क्षमा करने का संबंध सिर्फ आपसे है.

6. इसलिए आपको यह पूरी तरह पता होना चाहिए कि क्या हुआ और ऐसा क्या था जो सही नहीं था, और इसके लिए आप किसी विश्वसनीय व्यक्ति से अपने अनुभव साझा भी कर सकते हैं.

आधुनिक कार्यस्थल में सफलता के लिए 10 पाठ्यक्रम

1. प्रभावी बोलना - आभासी बैठकों और प्रस्तुतियों के दौरान उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए.

2. महत्वपूर्ण सोचना - निर्णय लेने के लिए नई जानकारी को समझना और उसका मूल्यांकन करना.

3. आत्म-नेतृत्व - अपने लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए अपनी ताकत और कमजोरियों को पहचानना.

4. लिखित संचार - स्पष्ट रूप से संरचित रिपोर्ट और ई-मेल लिखने की कला सीखने के लिए.

5. युक्तियाँ और चालें की तलाश - दूर से काम करते हुए समस्याओं को हल करने के तरीके को समझने के लिए.

6. डिजाइन सोच - कार्यस्थल पर रचनात्मकता की संस्कृति के निर्माण और योगदान के लिए.

7. शक्तिशाली उपस्थिति और ब्रांड निर्माण - आत्मविश्वास को प्रदर्शित करने के लिए अशाब्दिक संकेतों या बॉडी लैंग्वेज का उपयोग करने के मूल्य को समझना.

8. निर्णय लेना - काम पर और जीवन में छोटे निर्णय और उच्च-दांव के बीच अंतर को समझना और समझदारी से निर्णय लेना और स्मार्ट निर्णय लेने के लिए कई दृष्टिकोणों को शामिल करना.

9. उत्कृष्टता का अभ्यास करना - दूसरों की अपेक्षाओं से परे जाना और समय प्रबंधन द्वारा उच्च गुणवत्ता वाले कार्य को जारी रखना और तात्कालिकता और महत्व के अनुसार कार्यों को प्राथमिकता देना.

10. कार्यस्थलों को नेविगेट करना - एक संगठन की कार्य संस्कृति की पहचान करना और संघर्ष समाधान और सहयोग कौशल के माध्यम से इसके साथ संरेखित करना.

बच्चे की भावनात्मक जरूरतें

 1. अपने बच्चे के भावनात्मक कार्यों के प्रति उसकी प्राथमिकताएं निर्धारित करने में हमेशा व्यावहारिक रहें, उसकी रुचियों-अभिरुचियों को पहचानें और इस संबंध में बिना कोई बोझ लादे उससे खुलकर बातचीत करें.

2. इसके लिए जरूरी है कि एक कैलेंडर या कागज पर उसके किए जाने वाले कार्य के समय और तारीख अंकित किया जाए और उसे अपनी क्षमताओं के अनुकूल अपना निर्णय स्वयं लेने दें.

3. बच्चे द्वारा चेहरे पर चिंता के भाव आना उसके तानावग्रस्त होने के पूर्व संकेत हो सकते हैं, जो एक सहज स्वाभाविक प्रक्रिया है, ऐसे में उसकी समस्या को ध्यान से सुनें.

4. अधिकतर बच्चे अपनी समस्याओं का समाधान तुरंत चाहते हैं, इसलिए उसे तनाव की स्तिथि में किस प्रकार संयम बरतना है, सिखाएं तथा इस तरह की मनोस्तिथि में उसे धैर्य बंधाएं और जीवन की कठिनाइयों के विषय में समझाएं.

5. प्रायः अभिभावक बच्चों के प्रेरणास्रोत होते हैं, इसलिए आप स्वयं तनाव की स्तिथियों से निकलने के लिए अपने स्तर पर क्या-क्या प्रयास करते हैं, बच्चे को इस बारे में बताकर आप उसके तनाव को हल्का कर सकते हैं.

6. आपके अपने ही उदाहरण द्वारा पेश किया गया किसी समस्या का समाधान बच्चे में नए आत्मविश्वास का संचार करेगा.


अपने बच्चे को एक सक्रिय श्रोता बनाएं

1. सुनना कुछ भी सीखने का सबसे महत्वपूर्ण भाग है.

2. यह अक्सर देखा गया है कि बच्चे कोई भी बात सुने बिना ही उस पर अपनी प्रतिक्रिया देने लगते हैं, जिसके फलस्वरूप वे कुछ नया नहीं सीख पाते.

3. इसलिए उन्हें कच्ची उम्र से ही ये आदत डालनी चाहिए कि वे किसी भी बात को ध्यान से सुनें व समझें कि उन्हें क्या बताया जा रहा है, और फिर उस पर अमल करें.

4. एक सक्रिय श्रोता किसी भी बातचीत में सकारात्मक रूप से हिस्सा लेता है, सुनी हुई बातों को याद रखता है और उन बातों पर जिज्ञासा दिखाते हुए प्रश्न करता है.

5. जब बच्चा सक्रिय श्रोता होता है, तब उसे किसी तरह का संदेह या गलतफहमी नहीं होती है और वह सुनी हुई बात पर बखूबी अमल कर सकता है.

6. इससे वह अपने को बहुत ज्यादा आत्मविश्वासी भी महसूस करता है, क्योंकि उसे पता होता है कि वह जो भी कर रहा है, वह ठीक कर रहा है क्योंकि उसने उस काम के लिए दिए गए दिशा-निर्देशों को अच्छी तरह से सुना और उसका अनुपालन किया है.

अच्छे प्रबंधक कैसे बनें?

1. अपने कर्मचारियों की अच्छी बातों को पहचानें.

2. उन्हें ऐसा माहौल दें कि वे अपना काम बेहिचक कर सकें.

3. उनका मनोबल बढ़ाएँ और उनके हर प्रयत्न को सराहें.

4. उन्हें व्यक्तिगत समस्याओं को साझा करने के लिए प्रोत्साहित करें.

5. उनके काम, व्यवहार और उदारता की तारीफ उनके सामने और पीठ पीछे भी करें.

6. उन्हें नया सीखने और नया अवसर देने की कोशिश करें.

7. उनकी क्षमता और कमजोरियों को समझ कर ज्यादा जिम्मेदारी का काम सौंपें.

8. अपने दल का सम्मान करें.


बच्चों में अनुशासन

1. दुनिया के ज्यादातर देशों में बच्चों पर हाथ उठाना अब गैरकानूनी है, न केवल माता-पिता बल्कि शिक्षक के लिए भी, क्योंकि हिंसा से बच्चों में सुधार नहीं लाया जा सकता, हालांकि छोटे बच्चों को अनुशासित करना काफी कठिन होता है.

2. बच्चों को लगातार शारीरिक या मनोवैज्ञानिक सजा देने से वे सजा पाने के आदी हो जाते हैं, और फिर इसका उनपर कोई असर नहीं पड़ता है.

3. वास्तव में बच्चों को नियमित सजा देने से दीर्घकालीन लक्ष्य, जैसे अच्छा व्यवहार सीखना व बेहतर नागरिक बनना, नष्ट हो जाते हैं, हालांकि थोड़े समय के लिए घर या कक्षा में शांति स्थापित हो जाती है.

4. यह एक कटु सत्य है कि पूरी दुनिया में आज भी माता-पिता, शिक्षक व प्रशासक बच्चों को अनुशासित करने के लिए इनाम व सजा व्यवस्था पर बहुत अधिक भरोसा करते हैं.

5. इसके विपरीत उन्हें बच्चों में उत्पन्न समस्याओं के निदान के बारे में सोचना चाहिए, जो उनके अनुशासन को बनाए रखने में बाधक हैं, क्योंकि ऐसा करने से बच्चे आसानी से अनुशासन के दायरे में अपने को ले आते हैं.

6. इसलिए आपको बच्चे से शांति से बात करनी चाहिए कि उसके व्यवहार के पीछे असली समस्या की जड़ क्या है, और वैकल्पिक रचनात्मक योजनाएं तैयार करनी  चाहिए.

7. अधिकतर शिक्षक बच्चे की समस्या को विद्यालय के बाहर, यानी बच्चों के घर की, देन मानते हैं, इसलिए वे उनकी समस्या के निदान के प्रति उदासीन रहते हैं, जबकि यह समस्या घर की नहीं, बल्कि बच्चों की मानसिक क्षमता की होती है.

8. शिक्षकों को इस बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि विद्यालय का वातावरण बच्चे के व्यवहार में सकारात्मक अंतर लाए, भले ही घर पर बच्चे की स्तिथि चाहे जो भी हो.

शिक्षण

सभी शिक्षण देने और लेने का तात्पर्य है।

सच्चे शिक्षण की पहली परीक्षा होनी चाहिए, कि शिक्षण में तर्क का खंडन नहीं होना चाहिए।

वही सिखाता है जिसके पास कुछ देने को है, शिक्षण बातें करने के बारे में नहीं है, शिक्षण सिद्धांतों को लागू करने के बारे में नहीं है, यह संचार के बारे में है।

जब तक भीतर का शिक्षक नहीं जागता है, तब तक बाहर का सारा शिक्षण व्यर्थ है।

कोई भी कभी भी वास्तव में दूसरे द्वारा सिखाया नहीं गया था; हम में से प्रत्येक को खुद को सिखाना होगा।

कमजोरी

सारी कमजोरी, सारा बंधन, कल्पना है.

कमजोर के पास कोई इच्छाशक्ति नहीं है, और वह कभी काम नहीं कर सकता.

हम झूठ बोलते हैं, चोरी करते हैं, मारते हैं और अन्य अपराध करते हैं क्योंकि हम कमजोर हैं.

कमजोरी सभी प्रकार के दुखों को जन्म देती है, शारीरिक और मानसिक.

यहाँ दो शाप हैं: पहला हमारी दुर्बलता और दुःख, दूसरा हमारा द्वेष और सूखा हुआ हृदय.

अगर आप खुद को मजबूत मानते हैं, तो आप मजबूत होंगे.

ताकत

ताकत वह दवा है जो अज्ञानी के पास होनी चाहिए, जब वे शिक्षित द्वारा उत्पीड़ित होते हैं.

ताकत वह दवा है जो गरीबों के पास होनी चाहिए, जब उन पर अमीरों द्वारा अत्याचार किए जाते हैं.

सामर्थ्य है अनन्तता, शाश्वत जीवन और अमरता; कमजोरी है निरंतर तनाव, दुख और मृत्यु.

कमजोरी का उपाय कमजोरी के बारे में नहीं, बल्कि ताकत के बारे में सोचना है.

आज इस दुनिया को जिस चीज की जरूरत है, वह है ताकत, पहले से कहीं ज्यादा.

यह महान तथ्य है: शक्ति जीवन है, कमजोरी मृत्यु है.