आधुनिक पालन-पोषण के कई पहलू

1. पालन-पोषण का मतलब बच्चे को जन्म देकर उसकी देखभाल करना ही नहीं होता, बल्कि समाज में उसे एक जिम्मेदार नागरिक भी बनाना होता है, क्योंकि अच्छी परवरिश ही एक अच्छे समाज के निर्माण में सबसे बड़ा योगदान है.

2. आप जो अपने बच्चों को सिखाएंगे और जैसा उनके साथ बर्ताव करेंगे, वे उन्हें जीवन भर याद रहेंगी और बड़े होने पर उनके व्यक्तित्व में भी झलकेगी.

3. बचपन का अनुभव जीवन भर इंसान के आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता को बढ़ाता या घटाता है, जिसकी कुछ वजहें खुद माता-पिता की गलतियां भी होती हैं, इसलिए पालन-पोषण के दौरान अपनी कुछ आदतों को भी बदलने की जरूरत होती है.

4. बच्चों के विकास में माता-पिता का प्रोत्साहन बहुत मायने रखता है, इसलिए उनकी किसी भी मेहनत का मजाक न बनाएं और हर काम में कमियां न निकालें, जिससे अगली बार वे और ज्यादा व बेहतर प्रयास कर सकें.

5. चूंकि बच्चों की अपनी-अपनी आदतें होती हैं, इसलिए उनकी एक दूसरे से तुलना करने से बचें, क्योंकि ऐसा करने से उनमे आपसी चिढ़ व जलन जैसी भावना पनप सकती हैं.

6. बाहरी लोगों के सामने अपने बच्चों की शिकायत कभी न करें, क्योंकि इसका बच्चों के मन पर बहुत ही गहरा और लंबा प्रभाव पड़ता है, जिसका बाद में उनके आत्मविश्वास पर भी असर पड़ता है.

7. यदि बच्चों को हर गलती पर पीटा जाता है तो उनके मन में यह बात घर कर जाती है कि वे अच्छे नहीं हैं और कोई उन्हें पसंद नहीं करता, जिसकी वजह से उनके अंदर असुरक्षा की भावना घर कर जाती है जो बड़े होने पर उनके व्यक्तित्व में झलकती है.