बच्चों में पनपती ईर्ष्या की भावना को कैसे नियंत्रित करें?

1. जब बच्चा अपने सहपाठियों से शैक्षणिक, कौशल व खेल संबंधी ईर्ष्या करता है, तो वह अपने को दूसरे बच्चों से कमतर और अयोग्य आंकने लगता है.

2. ऐसे में अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों की योग्यता को पहचानें और उनका ध्यान उनकी व्यक्तिगत योग्यता व विशेषताओं की ओर आकर्षित करें और उनमे उन्हें पारंगत करें.

3. कभी-कभी ईर्ष्यालु बच्चा अपने ही भाई-बहन से ईर्ष्या करने लगता है, जिसके कारण एक स्वस्थ रिश्ता भी खराब हो सकता है, तो ऐसे में प्यार और धैर्य के साथ बड़े बच्चों को समझाएँ कि नए सदस्य के आने पर या छोटे भाई-बहनों के कारण उनके प्यार में कोई कमी नहीं आएगी.

4. जैसे-जैसे बच्चे किशोरावस्था में आते हैं, उनमे अपने दोस्तों को लेकर सामाजिक ईर्ष्या स्वतः पनपने लगती है जो बचपन में नहीं थी, जिसके कारण उनके आत्मविश्वास में कमी आने लगती है और वे अलग-थलग रहने लगते हैं, या कभी-कभी वे अन्य बच्चों के साथ आक्रमक व्यवहार भी करने लगते हैं.

5. ऐसे में उन्हें अकेला छोड़ने की बजाय, उन्हें अपनी बात अपने दोस्तों या परिवार के सदस्यों से साझा करने के लिए प्रेरित करें, या उन्हें एक डायरी में लिखने के लिए प्रोत्साहित करें, ताकि अभिभावक उनकी ईर्ष्या के सही कारण जान सकें और उससे निपटने के लिए मिलकर तरीके निकाल सकें.

6. आजकल बच्चे भौतिक ईर्ष्या से भी ग्रसित होते हैं, तो ऐसे में अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वे उन्हें समझाएं कि हर परिवार की आर्थिक स्थिति अलग-अलग होती है, इसलिए उनके पास जो है, उसी में खुश रहें.

7. बच्चों में ईर्ष्या की भावना दूर करने के लिए जरूरी है कि उनकी दोस्तों के साथ होनेवाली बातों को भी ध्यान से सुनें, जैसे वे किस बात से खुश हैं या किस बात से परेशान हैं, पर उनकी तुलना दूसरे बच्चों के साथ बार-बार न करें.