भावनात्मक रूप से भी परिपक्व बनें

1. यदि किसी का दृष्टिकोण हमसे अलग है, और इस बात पर हम खीज उठते हैं, तो यह हमारी भावनात्मक अपरिपक्वता दर्शाता है.

2. कुछ लोग, जो जरा-जरा सी बात को बेहद भावुक होने का तर्क देकर अपनी प्रतिष्ठा, सम्मान या लिंगबोध से जोड़ लेते हैं, वास्तव में अपरिपक्व होते हैं और दूसरे लोग धीरे-धीरे उनसे कन्नी काटने लगते हैं.

3. जब हम ऐसे लोगों की पीठ पीछे बुराई या हानि करते रहते हैं जिन्हें हम पसंद नहीं करते, तो यह भी हमारी घोर भावनात्मक अपरिपक्वता का नतीजा होता है.

4. जीवन की हर भावना का महत्व है, जैसे नाराज होना, उदास होना, खुश होना, रोमांचित होना आदि, जिनका सही इस्तेमाल जरूरी है अपनी भावनात्मक परिपक्वता दर्शाने के लिए.

5. एक खुशनुमा, प्यारभरी और सफल जिंदगी के लिए दिल और दिमाग दोनों का तालमेल होना चाहिए, बिना दोनों के गुलाम बने, क्योंकि हम इंसान हैं, रोबोट नहीं.