अंदर की खुशी

1. जिस खुशी की तलाश में हम बाहर भटकते रहते हैं, वह बाहर की बजाय हमारे अंदर ही मिलती है.
2. भौतिक संसाधन तो मात्र परछाईं के समान छलावा है.
3. हम बाहर की चीजों में खुशियां ढूंढते रहते हैं और उन चीजों से खुद को खुश रखना चाहते हैं.
4. किंतु इन बाहरी चीजों से हमें क्षणिक भर खुशी तो मिल सकती है लेकिन असली खुशी हमें तब मिलती है जब हमारा अंतर्मन खुश हो.
5. इसलिए खुशियां पाने के लिए बाहरी चीजों की बजाय खुद के अंदर झांक कर देखें.