1. जब बच्चा जन्म लेता है, तभी से उसके सीखने की प्रक्रिया आरम्भ हो जाती है, और परिवार उसकी प्रथम पाठशाला है जहां से वह संस्कार सीखता है.
2. माता-पिता बच्चे के पहले शिक्षक होते हैं, और उनका यह दायित्व होता है कि वे अपने बच्चे को संस्कारवान बनाएं, और इसके लिए उनको भी एक अच्छा इंसान बनना होगा जिससे उनका बच्चा उन्हें ही मार्गदर्शक और आदर्श मान सके.
3. प्रत्येक बच्चे को बचपन से ही यह शिक्षा मिलनी चाहिए कि वो अपने माता-पिता का सम्मान करे, क्योंकि वे ही उसके मार्गदर्शक होते हैं जिनकी राय कोई भी कार्य करने से पहले आवश्यक है.
4. अपने बच्चे को अपनी वास्तविक स्तिथि के बारे में अवश्य बताएं, आदर्श और वीर बच्चों की कहानियां सुनाएं और पढ़ने के लिए प्रेरित करें, जिससे वह आपका सम्मान करेगा.
5. अपने बच्चे के अंदर सत्य बोलने की आदत डालनी चाहिए, जिसके लिए माता-पिता को स्वयं भी इसे अपनाना होगा, और उनको यह बताना होगा कि सत्य और ईमानदारी के राह पर चलने से ही आगे बढ़ा जा सकता है.
6. अपने बच्चे के अंदर सहयोग और दूसरों की मदद करने की भावना का संचार करना चाहिए, जिसके लिए उन्हें अपने साथ काम पर लगाएं या उसको बताते रहें कि परिवार में सभी काम एक दूसरे के मदद से ही संभव है.
7. घर में जितने भी सदस्य हैं उनकी कार्यक्षमता के अनुसार सभी काम बाट दें, जिससे उसको जिम्मेदारी का एहसास होगा और एक दूसरे की मदद करना उसकी आदत में शामिल हो जाएगा, और धीरे-धीरे वह बाहरवालों के साथ भी यही व्यवहार करेगा.
8. अपने बच्चे में संस्कार डालें कि वह कर्तव्यनिष्ठ हो, यह समझाकर कि प्रत्येक व्यक्ति का अपने परिवार के प्रति, अपने देश के प्रति, अपने गुरु के प्रति, अपने स्कूल के प्रति, अपने बड़ों और छोटों के प्रति अलग-अलग कर्तव्य होते हैं जिसे उसे निभाना पड़ता है.
9. प्रत्येक बच्चे के अंदर यह नैसर्गिक गुण होना चाहिए कि वह सभी के साथ आपसी प्रेम और भाईचारे से रहे, क्योंकि इन भावनाओं के बल पर वह अपने परिवार और समाज में प्रतिष्ठित स्थान पा सकता है.
10. प्रत्येक बच्चे के अंदर देशभक्ति और उसके प्रति आत्मसमर्पण की भावना होनी चाहिए, जिसके लिए आप बच्चे के अंदर यह संस्कार डालें कि उसका सबसे पहला कर्तव्य अपने देश के प्रति है, देशभक्ति की कहानियां और कविताएं सुनाएं, और हो सके तो उसे सैन्य शिक्षा के लिए भी प्रेरित करें.
11. आप अपने बच्चे के अंदर सहनशक्ति की आदत भी डालें, क्योंकि उसके आगे के जीवन के लिए यह गुण होना आवश्यक है, और इसके लिए उसे यह सिखाएं कि छोटी बातों पर वह उग्र न हो और जीवन के प्रति वह सहनशील और सकारात्मक रूख रखे.
12. अपने बच्चे के अंदर यह संस्कार डालें कि वह अपने उज्ज्वल चरित्र के प्रति सजग रहे, क्योंकि एक बार चरित्र नष्ट होने पर वह दोबारा ठीक नहीं हो सकता, जिसके लिए वह अपने आसपास के लोगों और फरेबी दोस्तों से सावधान रहे.
2. माता-पिता बच्चे के पहले शिक्षक होते हैं, और उनका यह दायित्व होता है कि वे अपने बच्चे को संस्कारवान बनाएं, और इसके लिए उनको भी एक अच्छा इंसान बनना होगा जिससे उनका बच्चा उन्हें ही मार्गदर्शक और आदर्श मान सके.
3. प्रत्येक बच्चे को बचपन से ही यह शिक्षा मिलनी चाहिए कि वो अपने माता-पिता का सम्मान करे, क्योंकि वे ही उसके मार्गदर्शक होते हैं जिनकी राय कोई भी कार्य करने से पहले आवश्यक है.
4. अपने बच्चे को अपनी वास्तविक स्तिथि के बारे में अवश्य बताएं, आदर्श और वीर बच्चों की कहानियां सुनाएं और पढ़ने के लिए प्रेरित करें, जिससे वह आपका सम्मान करेगा.
5. अपने बच्चे के अंदर सत्य बोलने की आदत डालनी चाहिए, जिसके लिए माता-पिता को स्वयं भी इसे अपनाना होगा, और उनको यह बताना होगा कि सत्य और ईमानदारी के राह पर चलने से ही आगे बढ़ा जा सकता है.
6. अपने बच्चे के अंदर सहयोग और दूसरों की मदद करने की भावना का संचार करना चाहिए, जिसके लिए उन्हें अपने साथ काम पर लगाएं या उसको बताते रहें कि परिवार में सभी काम एक दूसरे के मदद से ही संभव है.
7. घर में जितने भी सदस्य हैं उनकी कार्यक्षमता के अनुसार सभी काम बाट दें, जिससे उसको जिम्मेदारी का एहसास होगा और एक दूसरे की मदद करना उसकी आदत में शामिल हो जाएगा, और धीरे-धीरे वह बाहरवालों के साथ भी यही व्यवहार करेगा.
8. अपने बच्चे में संस्कार डालें कि वह कर्तव्यनिष्ठ हो, यह समझाकर कि प्रत्येक व्यक्ति का अपने परिवार के प्रति, अपने देश के प्रति, अपने गुरु के प्रति, अपने स्कूल के प्रति, अपने बड़ों और छोटों के प्रति अलग-अलग कर्तव्य होते हैं जिसे उसे निभाना पड़ता है.
9. प्रत्येक बच्चे के अंदर यह नैसर्गिक गुण होना चाहिए कि वह सभी के साथ आपसी प्रेम और भाईचारे से रहे, क्योंकि इन भावनाओं के बल पर वह अपने परिवार और समाज में प्रतिष्ठित स्थान पा सकता है.
10. प्रत्येक बच्चे के अंदर देशभक्ति और उसके प्रति आत्मसमर्पण की भावना होनी चाहिए, जिसके लिए आप बच्चे के अंदर यह संस्कार डालें कि उसका सबसे पहला कर्तव्य अपने देश के प्रति है, देशभक्ति की कहानियां और कविताएं सुनाएं, और हो सके तो उसे सैन्य शिक्षा के लिए भी प्रेरित करें.
11. आप अपने बच्चे के अंदर सहनशक्ति की आदत भी डालें, क्योंकि उसके आगे के जीवन के लिए यह गुण होना आवश्यक है, और इसके लिए उसे यह सिखाएं कि छोटी बातों पर वह उग्र न हो और जीवन के प्रति वह सहनशील और सकारात्मक रूख रखे.
12. अपने बच्चे के अंदर यह संस्कार डालें कि वह अपने उज्ज्वल चरित्र के प्रति सजग रहे, क्योंकि एक बार चरित्र नष्ट होने पर वह दोबारा ठीक नहीं हो सकता, जिसके लिए वह अपने आसपास के लोगों और फरेबी दोस्तों से सावधान रहे.