अपने गुस्से पर कैसे नियंत्रण करें?

1. अगर आपको बहुत ज्यादा गुस्सा आता है, तो अपने लिए एक एंगर मैनेजमेंट डायरी बनाएं, जो आपके गुस्से पर नियंत्रण रखने में बहुत मददगार साबित होगी.
2. इस डायरी में रोजाना रात को सोने से पहले यह नोट करें की आज आपको कितनी बार और किस वजह से गुस्सा आया और उसे रोकने के लिए आपने क्या कोशिश की?
3. गुस्सा आने पर ठंडा पानी पीने का पुराना फॉर्मूला अपनाएं, क्योंकि पानी आपके शारीरिक तनाव को कम करके गुस्सा शांत करने में मदद करता है.
4. अक्सर ऐसा होता है कि जब हमें किसी व्यक्ति के ऊपर गुस्सा आता है, तो हमें उससे जुड़ी सारी नकारात्मक बातें एक साथ याद आने लगती हैं, पर गुस्से में भी इस बात का ख्याल ज़रूर रखें कि उससे आपकी जिस मुद्दे पर बहस हो रही है, सिर्फ उसी पर बातें करें और पुरानी शिकायतों का जिक्र न करें, क्योंकि इससे रिश्ते में कड़वाहट व दरारें और बढ़ जाएगी.
5. गुस्से की वजह से अगर आपकी किसी से बहस हो भी जाती है, तो लगातार खुद ही न बोलते रहें, बल्कि सामने वाले व्यक्ति की बातें भी धैर्यपूर्वक सुनें जिससे आपका गुस्सा कम हो जाएगा.
6. जब कभी गुस्सा आए, तो उस दौरान थोड़ी देर के लिए शांत रहने की कोशिश करें, जिससे आपके दिमाग तक शांत रहने का संदेह जाएगा और नर्वस सिस्टम सामान्य काम करने लगेगा.
7. अगर आपको किसी पर गुस्सा आ रहा हो, तो समझदारी से काम लेते हुए आप उसके सामने तार्किक ढंग से अपनी बात रखते हुए, उसे अपने गुस्से का कारण स्पष्ट रूप से बताएं, हो सकता है कि  इससे आपकी समस्या का कोई सकारात्मक हल निकल आए.

चलने के ढंग से विवरण जानें

1. कोई व्यक्ति कब, क्यों और कैसा सोचता है, उसके चलने के ढंग से पता चल सकता है.
2. चाल भीतर छुपी अच्छाई-बुराई, गुण-अवगुण का पूरा-पूरा ब्यौरा देती है, जैसे मनुष्य कब खुश है, कब तनाव में है, गंभीर है या कुछ सोच रहा है आदि.
3. यदि कोई व्यक्ति हाथ खोल कर, हाथ हिलाते हुए चलता है, तो वह व्यक्ति बहुत ही संवेदनशील, आत्मनिर्भर तथा आत्मविश्वासी है, बिना झिझके वह लोगों से बातचीत कर लेता है, और किसी भी नए काम को करने में घबराता नहीं है.
4. उसमें हर नए परिवर्तन तथा घटना को स्वीकारने की क्षमता होती है, झूठ और चालाकी से सख्त नफरत होती है, सीधी-सीधी बातों को सीधा-सीधा जवाब अच्छा लगता है तथा रहन-सहन में सफाई पसंद आती है.
5. यदि कोई व्यक्ति अपने हाथों को बगल में बांधकर या सटाकर चलता है, तो वह ज़रूरत से ज्यादा स्वाभिमानी है, अपने नियम व उसूल आदि स्वयं बनाना पसंद करता है, और अपनी बातों व किए गए वादों तथा वचनों पर दृढ़ रहता है.
6. वह सुनता सबकी है पर करता अपने मन की है, दूसरों की मदद लेने की बजाय अपनी समस्याएं स्वयं सुलझाना पसंद करता है, और यदि वह एक बात के पीछे पड़ जाए, तो इसकी जड़ तक पहुंच कर ही दम लेता है.
7. यदि किसी व्यक्ति के हाथ चलते वक़्त खुले रहते हैं पर हिलते नहीं हैं, तो वह गंभीर तबियत का है, उसके मस्तिष्क में सदा कोई न कोई विचार चलता ही रहता है, और एक साथ दो नावों पर सवार होने की कोशिश उसे जीवन में विपरीत परिणामों से भर देती है.
8. आत्मविश्वास की कमी के कारण वह ठीक समय पर ठीक नियोजन तथा निष्कर्ष निकालने में असमर्थ रह जाता है या फिर चूक जाता है, और दूसरे की आलोचना तथा कार्य में कमी निकालना उसकी आदत होती है.
9. यदि कोई व्यक्ति हाथ खोल कर चलता है और चलते समय उसके दोनों हाथों की मुठ्ठियाँ बंद रहती हैं, तो यह भीतर छिपी विभिन्न प्रतिभाओं को दर्शाता है, और वह अपनी सक्रिय सोच के कारण देर-सबेर, जैसे-तैसे अपने लक्ष्य तक पहुंच जाता है.
10. उसके विचार, रहन-सहन, आदतें, स्वभाव आदि आम आदमी से भिन्न होते हैं, तथा उसके बोलने में एक चमत्कारिक शक्ति होती है जो लोगों को सरलता से शीघ्र ही आकर्षित कर लेती है.

लक्ष्य में सफलता पाने के नुस्ख़े

1. एक समय में यदि आप दो या उससे अधिक लक्ष्य पाने का प्रयास करते हैं, तो आप लक्ष्य पाने के लिए दो सबसे महत्वपूर्ण चीजें - एनर्जी और फोकस - को बनाए नहीं रख सकते, इसलिए आपको अभी के लिए कोई एक लक्ष्य चुनना होगा और पूरी तरह से उस पर फोकस करना होगा.
2. ये कठिन है पर एक बार आप अपना अभी का निर्धारित लक्ष्य प्राप्त कर लें, फिर उसके बाद आप अपने बाकी लक्ष्य भी प्राप्त कर सकते हैं.
3. उन लोगों से प्रेरणा जरूर लीजिए जिन लोगों ने उस लक्ष्य को पा लिया है जिसे आप पाना चाहते हैं, जिसके लिए जाने-माने लोगों के ब्लॉग्स, किताबें, मैगज़ीन और सफलता की कहानियां भी पढ़िए, और गोल्स से संबंधित चीजों को सर्च भी करते रहिए.
4. अगर निराश से निकलना चाहतें हैं, तो किसी लक्ष्य के लिए उत्साहित हो जाइए, और इसकी शुरुआत दूसरों से प्रेरणा लेकर होती है, लेकिन आपको दूसरों से उत्साह लेकर उसे अपनी ऊर्जा में बदलना होगा, और एक बार आपने ये कर लिया तो इसी एनर्जी को आगे बढ़ाने की जरूरत रहती है.
5. अगर आपको अपना गोआल अचीव करने की प्रेरणा मिल जाती है, तो भविष्य की एक तारीख सेट कीजिए, उसे अपनी शुरुआत की तारीख बनाइए और फिर प्लान बनाइए.
6. अपने लक्ष्य को कुछ ही शब्दों में लिखें, उसके प्रिंट निकालिए, और उसे अपने दीवार, फ्रिज, आफिस और कंप्यूटर के डेस्कटॉप पर चिपका दें, ताकि आप अपने गोआल पर फोकस कर पाएं और उसे लेकर एक्ससिटेड बने रहें.
7. कोई भी दूसरों के सामने बुरा नहीं दिखना चाहता है, और जो बात हमने पब्लिकली कही है, उसे करने के लिए हम अतिरिक्त प्रयास करते हैं, इसीलिए आप अपने गोआल को परिवार, दोस्तों और को-वर्कर्स को भी बता सकते हैं.
8. केवल एक बार कमिट मत करिए, बल्कि अपने प्रोग्रेस के बारे में सभी को हर हफ्ते या महीने अपडेट करने के लिए भी कमिट करिए.

मुस्कान

मुस्कान की लागत कुछ भी नहीं है, लेकिन: -
यह हमेशा याद रहती है
यह उन लोगों को समृद्ध करती है जो इसे प्राप्त करते हैं
यह घर में खुशहाली लाती है
यह एक व्यवसाय में सद्भाव को बढ़ावा देती है
यह कभी भी खरीदी, भीख, उधार या चोरी नहीं की जा सकती है
यह दोस्ती की निशानी है
यह थके हुए की आराम है
यह दुख की धूप है
यह व्याकुलता के लिए दिन का प्रकाश है
यह मुसीबत के लिए मारक है
यह तभी अच्छी होती है जब इसे दिया जाता है
तथा
यह उन लोगों की सबसे बड़ी ज़रूरत है जिनके पास देने के लिए कोई मुस्कान नहीं है

जी लें अपनी ज़िन्दगी

1. लोग अपनी खुशियों को प्यार या पैसे से जोड़कर देखते हैं, मगर जीवन हर पल को जी लेने और हमेशा अपना सर्वोत्तम देने की ख्वाहिश के बीच संतुलन का प्रयास है.
2. आज हम सब ने अपनी जीवनशैली को खुद ही बिगाड़ लिया है, क्योंकि दिमाग में तनाव, मन में दूसरों से पीछे रह जाने का डर, और शारीरिक निष्क्रियता के साथ गलत खानपान व दिनचर्या के चलते हम केवल भाग रहे हैं, जी नहीं रहे.
3. ऐसे में हमारी ज़िन्दगी हमारे ऊपर बोझ बनती जा रही है, बीमारियों और तकलीफों का घर बनती जा रही है, क्योंकि पैसा कितना भी कमा लें मगर उसे भोग नहीं सकते.
4. इसलिए थोड़ा ठहर कर प्रकृति की खूबसूरती भी निहारिए, खुले दिल से ठहाके लगाइए और बेफिक्र लम्हे भी गुजारिए, ताकि समय निकल जाने पर आपको इस बात का मलाल न रहे कि आपने तो ज़िन्दगी जी ही नहीं.
5. आपकी सच्ची आंतरिक खुशी भौतिक चीजों से नहीं मिल सकती, इसलिए खुद के साथ अच्छा व्यवहार कीजिए, अपना ख्याल रखिए और दूसरों को भी खुशिययन दीजिए.
6. इसके लिए खुद से प्रेम करें, अपने लिए जिएं, और अपनी खुशिययन किसी और के भरोसे न छोड़ें, क्योंकि आप खुद को जितना खुश रख सकते हैं, कोई और नहीं रख सकता.
7. हमेशा पैसों के लिए काम न करें, कुछ काम अपनी खुशी के लिए भी करें और हमेशा कुछ न कुछ नया सीखते रहें, जिससे आपको जीवन में कुछ करने का उत्साह कायम रहेगा.
8. दूसरों को माफ करना सीखें जिससे आप अपने दिमाग से फ़िज़ूल के तनाव दूर रख सकेंगे, वरना रातदिन आप बदले की आग में ही सुलगते रहेंगे.
9. बातें कम करें और ऐसे काम करें जिनसे आपको वास्तव में खुशी मिलती हो, क्योंकि इससे जीवन के प्रति सकारात्मक रवैया विकसित होगा और आपका मन भी इधर-उधर नहीं भटकेगा.
10. अपनी गलतियों को स्वीकार करें और उनसे उबरने का प्रयास करें, क्योंकि जीवन में प्यार भरे रिश्ते बनाने और निभाने से ही दूसरों के प्यार और विश्वास की पूंजी हाथ लगेगी, और साथ ही अपने दर्द और तकलीफ खुद ही सहने की तैयारी निरंतर करते रहें.

अंदर की खुशी

1. जिस खुशी की तलाश में हम बाहर भटकते रहते हैं, वह बाहर की बजाय हमारे अंदर ही मिलती है.
2. भौतिक संसाधन तो मात्र परछाईं के समान छलावा है.
3. हम बाहर की चीजों में खुशियां ढूंढते रहते हैं और उन चीजों से खुद को खुश रखना चाहते हैं.
4. किंतु इन बाहरी चीजों से हमें क्षणिक भर खुशी तो मिल सकती है लेकिन असली खुशी हमें तब मिलती है जब हमारा अंतर्मन खुश हो.
5. इसलिए खुशियां पाने के लिए बाहरी चीजों की बजाय खुद के अंदर झांक कर देखें.

हमेशा सोच-समझ कर बोलें

1. जो मन में आए, वही बोलने से बाद में आदमी को वह सुनना पड़ता है जो उसे पसंद नहीं होता.
2. बोलने और व्यवहार करने में चतुर बनें, यानी हम कुछ कहते वक्त अपने शब्दों का चुनाव होशियारी और समझदारी से करें.
3. हम अपने कटु वचन कभी वापस नहीं ले सकते और उससे हुए नुकसान की भरपाई भी संभव नहीं है.
4. आलोचना का मतलब नकारात्मक बातें करना और शिकायत करना ही नहीं होता, बल्कि आलोचना सकारात्मक भी हो सकती है.
5. आपकी कोशिश यह होनी चाहिए कि आपकी आलोचना से आपके द्वारा सुझाए विचारों से उसकी सहायता हो जाए.

बच्चों को बचत करना सिखाने के तरीके

1. बच्चों को बचपन से पैसे जोड़ने की आदत डालने के लिए उन्हें एक छोटा गुल्लक यानी पिग्गी बैंक दें.
2. वे जब भी किसी चीज़ को लेने की ज़िद्द करें, तो उनको कहें कि वे इस गुल्लक में पैसे जोड़कर रखें और खुद के पैसों से वह चीज़ लें.
3. ऐसा करने से बच्चों को बचत का मतलब समझ आ जाएगा, और वे ज़रूरत वाली चीजें ही खरीदेंगे.
4. बच्चों की किसी फ़िज़ूलख़र्ची से तंग आकर उनपर गुस्सा होने की बजाय उनको प्यार से इस आदत के नुकसान को समझाएं, क्योंकि ऐसा सिखाने पर वे फिजूलखर्च और समय को बर्बाद करने दोनों से बच जाएंगे.
5. बच्चों की हर छोटी से बड़ी बात को मानकर पूरा न करें, क्योंकि इससे वे धीरे-धीरे ज़िद्दी होने के साथ ही फ़िज़ूलख़र्ची करने लगते हैं.
6. बच्चों को हमेशा एक निश्चित राशि ही दें और कभी भी ज़रूरत से ज़्यादा पैसे न दें, क्योंकि अधिक रकम मिलने से वे उसके महत्व को नहीं समझ पाते.
7. पैसे देते समय उन्हें यह भी बताएं कि इन्ही से उन्हें एक निश्चित समय तक खर्च करना है और बचत भी करनी है, और आप यह भी देखेंगे कि वे एक हफ्ते और एक महीने में कितनी बचत कर रहे हैं.
8. जब बच्चों को सब कुछ बहुत आसानी से मिल जाता है, तो वे उसके महत्व को नहीं समझ पाते, और उन्हें उसकी असली कीमत तभी समझ में आती है जब वे उस चीज़ के लिए मेहनत करते हैं.

अपनी वित्तीय स्तिथि मजबूत करने के नुस्ख़े

1. किसी भी हालात में अपनी आय का कम से कम 12 प्रतिशत हिस्सा भविष्य के लिए निवेशित हो.
2. आपातकाल के लिए भी 6 महीने के आय के बराबर की पूंजी अलग से जमा करें.
3. खुद की आय से ज्यादा उधार की रकम पर निर्भर न बनें.
4. ऐसी चीजों के लिए कर्ज़ न लें जिनकी कीमत भविष्य में कम होने वाली हो.
5. घर कर्ज़ वाली रकम का मासिक भुगतान आपकी मासिक आय के 45 प्रतिशत से ज्यादा कभी नहीं होना चाहिए.
6. ऐसा न सोचें कि मेरे साथ कभी भी कुछ बुरा नहीं होगा, इसलिए अपनी आपदा से पार पाने के लिए पर्याप्त जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा कराने में आनाकानी न करें.
7. सुनी-सुनाई बातों के आधार पर या किसी दोस्त की राय पर अपनी गाढ़ी कमाई को निवेश न करें.
8. निवेश के समय आपकी उम्र बहुत मायने रखती है, इसलिए उसे ध्यान में रखते हुए सोच समझकर अपने लक्ष्य के अनुसार निवेश करें.
9. किसी के झांसे में आने से तो बेहतर है कि अपने पैसे को सावधि जमा में ही रहने दें.
10. खुशहाल ज़िन्दगी के लिए आपका वित्तीय स्तिथि पत्र मज़बूत होनी ज़रूरी है.

नौकरी के साक्षात्कार हेतु तैयारी

1. कई बार सारे गुण होने के बाद भी व्यक्ति को मनचाही नौकरी नहीं मिल पाती, क्योंकि वह साक्षात्कार की तैयारी सही तरह से नहीं करता.
2. कई बार ऐसा भी होता है कि पूरी तैयारी होने के बाद भी जब आप साक्षात्कार के लिए जाते हैं तो आपका आत्मविश्वास कमजोर पड़ जाता है या फिर घबराहट में आपके जवाब और शारीरिक हाव-भाव नकारात्मक हो जाते हैं.
3. इसलिए आत्मविश्वास को बढ़ाने और घबराहट को दूर करने के लिए दिखावटी साक्षात्कारों द्वारा अभ्यास करें, क्योंकि इनमें जब आप बार-बार जवाब देते हैं तो आपके भीतर जो आत्मविश्वास पैदा होता है उससे असली साक्षात्कार के दौरान आप हिचकिचाते नहीं हैं.
4. साक्षात्कार के लये जाने से पहले रोज़गार के विवरण को सही तरह से पढ़ें, और उसकी शिक्षात्मक योग्यता के अलावा अन्य विवरण और गुण भी जानें, क्योंकि ऐसे विवरण को जितना गहराई से पढ़ेंगे, उसके बारे में ज्यादा बेहतर तरीके से जान सकेंगे, और यह जानने में आसानी होगी की साक्षात्कार में आपसे किस तरह के प्रश्न पूछे जा सकते हैं.
5. आप जिस भी कंपनी में नौकरी के लिए आवेदन कर रहे हैं, उसके बारे में पूरी खोज करनी जरूरी है क्योंकि साक्षात्कार में यह जरूर पूछा जाता है कि आप उनके यहां काम क्यों करना चाहते हैं, और इस सवाल का सबसे अच्छा जवाब तभी दे पाएंगे जब आपको कंपनी के बारे में पूरी जानकारी हो.
6. नौकरी के साक्षात्कार के लिए यह भी बेहद जरूरी है की आप अपने बायोडाटा को भी अच्छी तरह पढ़ें और याद कर लें, क्योंकि कई बार साक्षात्कारकर्ता आपके रेज़्यूमे को लेकर ही कुछ सवाल पूछते हैं, और अगर आप उस दौरान कुछ बताने में गड़बड़ी करते हैं तो इससे आपकी विश्वसनीयता पर बुरा असर पड़ता है.
7. साक्षात्कार के लिए आपका लिबास भी सही होना चाहिए, और साथ ही आपके पास सभी ज़रूरी दस्तावेज़ की कागज़ी प्रति होनी चाहिए.
8. साक्षात्कार के दिन आप समय से 15 मिनट पहले पहुंच जाएं, क्योंकि इससे आपको तनावमुक्त होने में मदद मिलेगी और आपकी अच्छी छवि भी बनेगी.

प्रतियोगी परीक्षाओं में बिना अनुशिक्षण के कामयाबी पाएं

1. आजकल युवा जैसे ही किसी प्रतियोगी परीक्षा के लिए आवेदन करते हैं, वैसे ही अनुशिक्षण कक्षाएं खोजना शुरू कर देते हैं, और सोचते हैं कि बिना इनके वे उत्तीर्ण नहीं हो पाएंगे.
2. सच तो ये है कि ऐसा कतई नहीं है और आप घर पर भी तैयारी करके परीक्षा में सफलता हासिल कर सकते हैं - आत्मविश्वास बनाये रखकर और कड़ी मेहनत कर.
3. सबसे पहले उस परीक्षा के नमूने को ठीक से समझ लें कि उसमे किस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं और कौन-कौन से विषय सबसे ज़रूरी है, जिसके लिए उसके पूरे पाठ्यक्रम और स्वरूप को जाने और आगे की रणनीति तैयार करें.
4. इसके लिए सबसे ज़रूरी है कि हर विषय की टिपणियां बनाते समय हम उनके मुख्य प्रश्नों को निकालें और उनके उत्तर लिखें जो परीक्षा के पहले याद कर सकें.
5. आप जिस प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहें हैं, उस परीक्षा के लिए कौन सी किताबें अच्छी साबित होंगी और कौन से लेखक की, इसके बारे में अपने मित्रों से या शिक्षकों से पूछ सकते हैं, और साथ ही पिछले के वर्षों के प्रश्नों को भी ज़रूर हाल करते रहें, जिससे न सिर्फ तैयारी अच्छी होगी बल्कि प्रश्नों को समझने में भी काफी मदद मिलेगी.
6. परीक्षा की तैयारी समयबद्ध प्रबंधन के द्वारा करें, क्योंकि समय पर प्रश्नपत्र को हल नहीं कर पाए तो असफलता ही हाथ लगती है, इसलिए अभ्यास परीक्षा, संवेग परीक्षा, और कृत्रिम परीक्षा को ज्यादा से ज्यादा हल करें, और जितना संभव हो सके उनकी ऑनलाइन परीक्षाएं देते रहें.
7. प्रतियोगी परीक्षा के लिए शुरू से ही अपनी अनुशाषित दिनचर्या बनानी ज़रूरी है जिसे नियम से पालन करें, और जब भी पढ़ाई करें तो सारा ध्यान सिर्फ उसी पर होना चाहिए.
8. किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के लिए अपना आत्मविश्वास बनाये रखें और कभी निराश होकर परीक्षा न दें, क्योंकि इससे परीक्षा पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है.

अपने बच्चे को अच्छा इंसान बनाएं

1. जब बच्चा जन्म लेता है, तभी से उसके सीखने की प्रक्रिया आरम्भ हो जाती है, और परिवार उसकी प्रथम पाठशाला है जहां से वह संस्कार सीखता है.
2. माता-पिता बच्चे के पहले शिक्षक होते हैं, और उनका यह दायित्व होता है कि वे अपने बच्चे को संस्कारवान बनाएं, और इसके लिए उनको भी एक अच्छा इंसान बनना होगा जिससे उनका बच्चा उन्हें ही मार्गदर्शक और आदर्श मान सके.
3. प्रत्येक बच्चे को बचपन से ही यह शिक्षा मिलनी चाहिए कि वो अपने माता-पिता का सम्मान करे, क्योंकि वे ही उसके मार्गदर्शक होते हैं जिनकी राय कोई भी कार्य करने से पहले आवश्यक है.
4. अपने बच्चे को अपनी वास्तविक स्तिथि के बारे में अवश्य बताएं, आदर्श और वीर बच्चों की कहानियां सुनाएं और पढ़ने के लिए प्रेरित करें, जिससे वह आपका सम्मान करेगा.
5. अपने बच्चे के अंदर सत्य बोलने की आदत डालनी चाहिए, जिसके लिए माता-पिता को स्वयं भी इसे अपनाना होगा, और उनको यह बताना होगा कि सत्य और ईमानदारी के राह पर चलने से ही आगे बढ़ा जा सकता है.
6. अपने बच्चे के अंदर सहयोग और दूसरों की मदद करने की भावना का संचार करना चाहिए, जिसके लिए उन्हें अपने साथ काम पर लगाएं या उसको बताते रहें कि परिवार में सभी काम एक दूसरे के मदद से ही संभव है.
7. घर में जितने भी सदस्य हैं उनकी कार्यक्षमता के अनुसार सभी काम बाट दें, जिससे उसको जिम्मेदारी का एहसास होगा और एक दूसरे की मदद करना उसकी आदत में शामिल हो जाएगा, और धीरे-धीरे वह बाहरवालों के साथ भी यही व्यवहार करेगा.
8. अपने बच्चे में संस्कार डालें कि वह कर्तव्यनिष्ठ हो, यह समझाकर कि प्रत्येक व्यक्ति का अपने परिवार के प्रति, अपने देश के प्रति, अपने गुरु के प्रति, अपने स्कूल के प्रति, अपने बड़ों और छोटों के प्रति अलग-अलग कर्तव्य होते हैं जिसे उसे निभाना पड़ता है.
9. प्रत्येक बच्चे के अंदर यह नैसर्गिक गुण होना चाहिए कि वह सभी के साथ आपसी प्रेम और भाईचारे से रहे, क्योंकि इन भावनाओं के बल पर वह अपने परिवार और समाज में प्रतिष्ठित स्थान पा सकता है.
10. प्रत्येक बच्चे के अंदर देशभक्ति और उसके प्रति आत्मसमर्पण की भावना होनी चाहिए, जिसके लिए आप बच्चे के अंदर यह संस्कार डालें कि उसका सबसे पहला कर्तव्य अपने देश के प्रति है, देशभक्ति की कहानियां और कविताएं सुनाएं, और हो सके तो उसे सैन्य शिक्षा के लिए भी प्रेरित करें.
11. आप अपने बच्चे के अंदर सहनशक्ति की आदत भी डालें, क्योंकि उसके आगे के जीवन के लिए यह गुण होना आवश्यक है, और इसके लिए उसे यह सिखाएं कि छोटी बातों पर वह उग्र न हो और जीवन के प्रति वह सहनशील और सकारात्मक रूख रखे.
12. अपने बच्चे के अंदर यह संस्कार डालें कि वह अपने उज्ज्वल चरित्र के प्रति सजग रहे, क्योंकि एक बार चरित्र नष्ट होने पर वह दोबारा ठीक नहीं हो सकता, जिसके लिए वह अपने आसपास के लोगों और फरेबी दोस्तों से सावधान रहे.