सुनने की कला सीखने के नुस्ख़े

1. संवाद सिर्फ बातचीत नहीं, बल्कि दो लोगों के बीच का संतुलन होता है, जिसमे एक वक्ता तो दूसरा श्रोता होता है, और दोनों का होना ज़रूरी है.
2. कई बार हम लोग बहुत ज़्यादा बातें करते हैं, और हमें इस बात से बिल्कुल फर्क नहीं पड़ता कि सुनने वाला आपकी बातों में दिलचस्पी ले रहा है कि नहीं.
3. अगर आप सिर्फ बातें कहने के आदी हैं, तो सुनने की कला भी सीखनी होगी, क्योंकि ज़्यादा बोलने की बजाय ज़्यादा सुनना फायदेमंद होता है.
4. कई बार हमें अपनी कही बातों पर पछताना पड़ता है, जो कि बिना सोचे-समझे बात करने का नतीजा होता है.
5. आमतौर पर काम बात करना, अधिक सुनना, और दूसरों के विचारों से सहमत होना मुश्किल होता है.
6. हो सकता है कि आपको किसी के विचार सही या उसकी बातें अच्छी न लगें, लेकिन सुनते वक़्त आपको अपने विचारों को किनारे कर सामने वाले की बात पर ध्यान देना चाहिए.
7. जब आप इस प्रकार से किसी की बात को सुनते हैं, तो आप बातों के दूसरे पहलुओं को देख पाते हैं, और बोलने वाले की भावनाओं को भी आसानी से समझ सकते हैं.
8. इसलिए, यदि आप इस आदत को अपनाना चाहते हैं, तो पहले आपको कम बोलना सीखना होगा.
9, जो ज्यादा बात करते हैं, वे अपनी जानकारी से अधिक कह जाते हैं, जबकि जो लोग सुनने में दिलचस्पी लेते हैं, वे सभी की बातों को ध्यान से सुनते हैं और उन्हें सभी से कुछ न कुछ सीखने का मौका मिलता है.
10. इससे सुनने वाले को नई जानकारी भी मिलती है जिसका वह अच्छी तरह से उपयोग कर सकता है.
11. जो लोग ज्यादा बात करते हैं, उन्हें पता ही नहीं होता की वे क्या कहने जा रहे हैं, और अक्सर बातों-बातों में वे अपनी निजी ज़िन्दगी के बारे में भी ऐसी चीज़ें बता जाते हैं जिसका बाद में पछतावा होता है.
12. अधिकतर चुप रहने की वजह से हो सकता है की लोग आपको घमंडी समझें, पर जो आपके करीबी होंगे या वाकई आपको जान लेंगे उनकी यह गलतफहमी जल्द दूर हो जाएगी.
13. जो लोग ज़रूरत के समय ही बोलते हैं, वे हर बात को गंभीरता से समझते हैं, और उनकी बातों में भी गंभीरता होती है, इसलिए हमें तभी बोलना चाहिए जब हमें किसी चीज़ की ठोस जानकारी हो, जिससे सभी आपकी बात को सुनने में दिलचस्पी लें.