महिलाएं ससुराल में हमेशा तनावमुक्त कैसे रहें

1. यह सच है की रातोंरात अपना अस्तित्व नहीं बदला जा सकता, लेकिन ससुराल में तनावमुक्त रहने के लिए थोड़ा तो बदलना ज़रूरी है.
2. यह बदलाव जहां आपको सुकून प्रदान करेगा, वहीं रिश्तों को महकाने का भी काम करेगा.
3. सबसे पहले खुद पर घमंड न करें, खासतौर से अगर आप रूपवती हैं, क्योंकि ऐसे में आपके ससुरालवालों में हीन भावना जगेगी, और धीरे-धीरे नफ़रतें तानों से बढ़कर भारी कलह का रूप भी ले सकती हैं.
4. दूसरी ओर, अगर स्थिति इसकी उलट है, यानी आपके ससुरालवाले आपसे ज़्यादा सुंदर हैं, तो अपने मन में हीन भावना न आने दें, बल्कि खुले दिल से उनके सौंदर्य की तारीफ करें.
5. आप इसकी भरपाई अपने अन्य गुणों से कर सकती हैं, जैसे पाक कला की प्रवीणता जिसके द्वारा घर के सदस्यों की पसंद-नापसंद का आप ध्यान रख सकती हैं.
6. ससुराल में कम बोलने वाली महिलाओं को अच्छा समझा जाता है, इसलिए जहां तक संभव हो चुप रहें, लेकिन समय की नज़ाकत को भी पहचानें और लकीर का फकीर न बनें.
7. यदि आपकी चुप्पी का कोई सदस्य फायदा उठाता है, तो उसे वहीं रोकिए, अगर वह अंट-शंट बोलता है तो उसे उसकी ही भाषा में चाशनी लगाते हुए जवाब दें, ताकि अगली बार वह आपसे या आपके बारे में सोच समझकर बोले.
8. ससुराल के सदस्यों को अपने माता-पिता से तुलनात्मक तराजू में तौलते हुए नीचा न दिखाएं, क्योंकि ऐसी बातें आपसी रिश्तों को तार-तार करने में देर नहीं लगाएंगी, और इसका सीधा प्रवाह आप और आपके पति के रिश्ते पर पड़ेगा.
9. सबसे अहम है कि पति के सामने उसके माता-पिता की बुराईयों का व्याख्यान नहीं करें, क्योंकि बेटा-बेटी अपने मा-बाप के ही सगे होते हैं, और उनकी बुराईयां या चुगली-चपाटी पति-पत्नी के रिश्ते को खोखला कर सकती हैं.
10. ससुराल का रिश्ता प्यार और सूझबूझ से ही निभता है, इसलिए ससुराल में तनावमुक्त रहने के लिए जरूरी है आपका समझदार होना.

कामयाब होने के लिए कल पर काम न टालें

1. जीवन में सफलता यूँही नहीं हासिल होती, बल्कि इसे पाने के लिए कुछ खास नियमों का पालन करना पड़ता है.
2. मन में बहुत कुछ करने की इच्छा उठती है, पर हम यह सोचकर टाल जाते हैं कि बाद में कर लेंगे, पर बहुत कम लोगों की ज़िंदगी में ही वह बाद लौट कर आता है.
3. ज्यादातर मलाल ही करते रह जाते हैं कि ज़िन्दगी में बहुत कुछ करने से रह गए और अपनी ज़िंदगी तो जी ही नहीं.
4. हममें से हरेक के पास दो ज़िन्दगी हैं, लेकिन दूसरी ज़िन्दगी हम तब जीते हैं जब यह जान जाते हैं कि ज़िन्दगी एक ही होती है.
5. बिना काम किए कुछ हासिल नहीं होता, और आज किए गए काम ही कल फल बनकर सामने आते हैं.
6. हर दिन क्या पाया, इससे मापा नहीं जाता, यह तो इससे तय होगा कि आप कैसे और कितने बीज बोते रहे हैं, क्योंकि लगातार खर्च करना है तो साथ-साथ जमा भी करना पड़ता है.
7. सफलता हासिल करने के लिए परिश्रम तो करना ही है, लेकिन जो कुछ भी कर रहे हैं उसे करने में हड़बड़ी नहीं होनी चाहिये, और सोच-समझ कर धीरे-धीरे कदम बढ़ाना चाहिए.
8. किसी भी कार्य के दौरान संकट की घड़ी आ सकती है और अक्सर आती भी है, ऐसी स्थिति में धैर्य ही साथ देता है, इसलिए जब भी समस्याएं खड़ी हों तो धैर्य बनाए रखें.
9. ऐसे मौकों पर यदि कोई ज्ञानी व्यक्ति आपको परेशान होते देखकर कोई सलाह दे रहा है, तो उसे नज़रअंदाज़ कदापि न करें, बल्कि ग्रहण करें.
10. हमारी सफलता का दायरा और बढ़ जाता है जब अपने साथ दूसरों की तरक्की भी जुड़ जाती है, और इसके फलस्वरूप हम अपनी खुशियां दूसरों के साथ भी बांटना सीख जाते हैं.

कल्पना द्वारा सफलता पाएं

1. कल्पना एक ऐसी शक्ति है जिससे बड़े से बड़े लक्ष्य को भी भेदा जा सकता है.
2. कल्पना ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है; ज्ञान सीमित है जबकि कल्पना पूरे विश्व को गले लगाती है, प्रगति को प्रेरित करती है, विकास को जन्म देती है.
3. इसलिए हम सभी को अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपने अंदर मौजूद कल्पना का प्रयोग करना चाहिए.
4. यह सोचना कि हममें कल्पनाशक्ति नहीं है, या इसके लिए कोई विशेष तैयारी करनी पड़ती है, यह सही नहीं है, क्योंकि कल्पनाशक्ति सबके पास है, कुछ लोग इसका ज्यादा इस्तेमाल करते हैं और कुछ लोग बहुत कम.
5. जो लोग यह समझते हैं कि उनके पास कल्पनाशक्ति नहीं है या पर्याप्त नहीं है, वे इसको आसानी से विकसित कर सकते हैं, और इसके लिए किसी प्रशिक्षण या पढ़ाई की ज़रूरत नहीं, बल्कि अपनी रोज़ की ज़िंदगी में थोड़ा सा बदलाव लाएं.
6. कल्पना का कोई एक तरीका नहीं है, सिर्फ सोचने और करके देखने की ज़रूरत है, इससे आप अपनी ज़िंदगी में एक बेहतर बदलाव पाएंगे.
7. कल्पना की दुनिया में कुछ सही-गलत नहीं होता, कोई सीमा की मर्यादाएं नहीं होतीं, बस कुछ नया करने के लिए कुछ नए तरीकों की ज़रूरत होती है, जो आपको बहुत फायदा दिला सकती है, और जो कल्पना से ही संभव है.
8. याद रखें कि कल्पना के कोख से ही कठिन प्रश्नों के उत्तर और समस्याओं के समाधान निकलते हैं.

कार्यस्थल पर तरक्की के लिए कुछ कारगर नुस्ख़े

कार्यस्थल पर तरक्की के लिए कुछ कारगर नुस्ख़े:-
1. सफल होने के लिए सबसे पहले काबिल बनना होगा, यानि आप जिस क्षेत्र में काम करते हैं या रुचि रखते हैं उससे संबंधित सभी स्किल्स में दक्षता हासिल करें.
2. आपको जो भी काम करने को मिलता है, उसकी आप खुद ही जिम्मेदारी लें.
3. आप ही तय करें कि यह कार्य कब और कैसे करना है.
4. किसी भी काम से तब तक ध्यान न हटाएं, जब तक आप उसे पूर्ण करने की पूरी कोशिश नहीं कर लेते.
5. आप निर्भीक रूप से उस कार्य को पूरा करने के लिए लड़ना भी सीखें.
6. आप उसी व्यक्ति का साथ रखें जो आपको प्रोत्साहित करे और जिससे आप कुछ सीख सकें.
7. किसी प्रस्तुतीकरण से पहले अपने सहयोगियों से विचार-विमर्श कर बेहतर तरीके से उसे तैयार और पेश करें.
8. अपने बोलने की कला को निखारें, जिसकी खास तौर पर प्रस्तुतीकरण के दौरान बड़ी अहमियत होती है.
9. जो चीज़ें आपने स्लाइड में लिखी हैं, उनमें से मुख्य बातें ही पढ़ें, और बाकी जानकारी बिना स्लाइड रखे ही धाराप्रवाह बोलें.
10. अनुशाशन का हमेशा ध्यान रखें, क्योंकि यही एक ऐसा कारक है जो हमें अपना लक्ष्य एक निर्धारित समय में पूरा करने के लिए प्रेरित करता है.

और भी बहुत कुछ है 50 के पार

1. जब से बच्चे बड़े हो जाते हैं, तो उनके माता-पिता के पास काफी समय बच जाता है.
2. अब आपके साथ ज़िन्दगी का इतने वर्षों का अनुभव है, तो उसके आधार पर अपने लिए कुछ नया कर जीवन को दोबारा खुशहाल बना सकते हैं.
3. इतना ही नहीं, आप खुद को पहचान कर दुनिया में भी अपनी पहचान बना सकते हैं.
4. इसके लिए आप स्वतंत्र हैं और अपनी दिनचर्या तय कर सकते हैं कि आप अपना समय अपने ढंग से कैसे व्यतीत करना चाहते हैं या चाहती हैं.
5. बस ज़िन्दगी में अपार खुशियां पाने के लिए सकारात्मक सोच और समय प्रबंधन बहुत ज़रूरी है.
6. इसके साथ-साथ सदैव कुछ सीखने की ललक और इंसानी ज़ज़्बा अपने व्यक्तित्व में ढाल लें.
7. अगर आपको संगीत सुनने का शौक है, तो उसके साथ-साथ छोटे-छोटे काम भी निपटाए जा सकते हैं.
8. हां, किताबें पढ़ने, चित्रकला, नृत्य, घूमना या कुछ नया सीखने के लिए आपको अलग से समय निकालना होगा.
9. मनोरंजन और दुनिया से अपने को जुड़े रखने के लिए आधा-पौने घंटे का समय टीवी के लिए भी निकाल सकते हैं.
10. अंतिम प्रमुख कार्य जो खुशियों की चाबी है वह है सामाजिक कार्य, जिसके लिए आप सप्ताह में एक बार अवश्य समाज की भलाई के लिए कुछ समय निकालें.
11. फिर चाहे गरीब, अनाथ बच्चों, बुजुर्गों, बेसहारा औरतों, निरीह पशुओं या किसी की भी भलाई का काम हो, अथवा भृष्टाचार विरोध, नशामुक्ति आदि किसी भी मुद्दे पर कार्य करें.
12. यह कुछ समय का आपका सहयोग समाज को तो लाभान्वित करेगा ही, साथ ही आपको भी अपार खुशियों से भर देगा.
13. इसीलिए, 50 की उम्र के बाद भी आप घबराएं नहीं, धैर्य रखें, पूरी खुशियां मनाएं, नेक कार्यों में बढ़ कर हिस्सा लें, कुछ अच्छा सीखें और सिखाएं.
14. जीवन बिताएं नहीं, बल्कि जीवन जीएं और खुशियां ढूंढ लें.

कृपया ऐसे बुज़ुर्ग बनने से बचें

1. हमारे-आपके आसपास कई ऐसे बेटे-बेटियां हैं जिनके बुज़ुर्ग माता-पिता अपने सनकीपन और स्वार्थीपन के आगे बच्चों की इच्छाओं को अनदेखा कर रहे हैं.
2. बात-बात पर चिड़चिड़ाना, छोटी-छोटी शारीरिक समस्याओं को बड़ा बनाकर घर में तमाशाआ बना देना, खाने-पीने और कहीं भी आने-जाने में अपनी ज़िद मनवाना आदि इनके स्वभाव में शामिल है.
3. अपनी बीमारियों को बढ़ा-चढ़ा कर बताने के पीछे बुज़ुर्गों का एक मनोविज्ञान काम करता है.
4. वे पड़ोसियों और रिश्तेदारों के सामने अपनी बीमारी के बारे में बढ़ा-चढ़ा कर बताते हैं ताकि वे अधिक से अधिक सहानुभूति बटोर सकें और उनके बच्चे उनपर अधिक ध्यान दें.
5. वे बच्चों के उनके प्रति भावनात्मक जुड़ाव को लेकर उन्हें भयादोहन करते हैं, और उन्हें बच्चों की भावना से कोई लेना-देना नहीं होता.
6. अगर बुज़ुर्गों को सचमुच अपने बच्चों से लगाव है, तो उन्हें चाहिए कि वे बच्चों की इच्छाओं और परेशानियों को समझें और उनको बीमार न बनाएं.

दोस्ती को टिकाऊ बनाने और निभाने के गुर

1. दोस्ती में कोई नियम-कायदा नहीं होता - यह सभी मानकों के परे होती है.
2. दोस्ती में कभी धन का लेनदेन न आने दें, क्योंकि तगड़ी से तगड़ी दोस्ती भी इसके चक्कर में पिस जाती है.
3. दोस्त के पीठ पीछे उतनी ही बात करें जितनी उसके सामने स्वीकारने में हिचक न हो, क्योंकि कई लोग आपको एक दूसरे के विरुद्ध बहकाने की कोशिश कर सकते हैं.
4. अगर मित्र के प्रति आपके दिल-दिमाग में कोई वहम आये, तो उसे मित्र से बात कर साफ कर लें, वर्ना मौके-बेमौके वह गुबार दिल से निकल कर जुबान पर आ जाता है जिससे दोस्ती में दरार पड़ते देर नही लगती.
5. किसी उलझन में फंसे दोस्त को सटीक राय दीजिये, भले ही उस समय उसे वह कड़वी ही क्यों न लगे, क्योंकि कई बार दोस्त का मन रखने के लिए दी गई उसकी पसंदीदा सलाह बाद में उसे परेशानी में डाल सकती है.
6. दोस्ती में अपने अहं को आड़े न आने दें, क्योंकि अच्छे दोस्त अपने साथी की खुशी को दुगुना और तकलीफ को आधा कर देते हैं.
7. यदि दोस्त अपनी तकलीफ को मानसिक सुकून पाने के लिए आपसे साझा करते हैं, तो उन्हें निराश न करें और प्रेम और धैर्य के साथ सुन लें, भले ही आपके पास उसकी समस्या का निदान न हो.
8. यदि कोई दोस्त अपनी हालात से मजबूर होकर रोज़ाना मेल-मुलाक़ात नहीं कर पाते या अधिक समय नहीं दे पाते, तो उनकी व्यस्तता को समझ कर उन्हें कोसने और शिकायत करने की बजाय वस्तुस्थिति को समझने का प्रयास करें.
9. दोस्ती में सहज भाव से अपनी बात रखें, क्योंकि एक सच्ची दोस्ती में अहंकार, फरेब, कटाक्ष और टीका-टिप्पणी के बजाय सहजता और सरलता होना आवश्यक है.
10. दोस्ती की आजमाइश की कोशिश कभी न करें, क्योंकि यह अति होशियारी का प्रतीक है जिससे न सिर्फ दोस्ती का स्तर गिरता है बल्कि उसका मौलिक स्वरूप भी आहत हो जाता है.
11. दोस्ती में कोई छोटा या बड़ा नहीं होता, क्योंकि दोस्ती न तो उम्र देखकर की जाती है, न ही रंग-रूप या सामाजिक स्तर देखकर, इसलिए सिर्फ दोस्त बनाने की जुगत न करें बल्कि सच्ची दोस्ती निभाएं.

क्या आपको दाढ़ी रखना पसंद है?

1. अगर आपको दाढ़ी रखना पसंद है, तो सही तरह से उसका ख्याल रखना बेहद ज़रूरी है.
2. जिस तरह आप अपनी त्वचा और सिर के बालों का ख्याल रखने के लिए साबुन और शैम्पू का इस्तेमाल करते हैं, ठीक उसी तरह दाढ़ी का ख्याल रखने के लिए भी उसे शामपुर करने की ज़रूरत होती है.
3. अब तो बाज़ार में बियर्ड शैम्पू भी अलग से मिलने लगे हैं, तो आप उनका भी उपयोग कर सकते हैं.
4. दाढ़ी को नरम और चमकदार बनाये रखने के लिए उसका अनुकूलन करना भी काफी ज़रूरी है.
5. इसके लिए आप बियर्ड तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो दाढ़ी के नीचे की त्वचा को नम रखता है, जिससे खुजली और गुच्छे बनने की रोकथाम होती है.
6. दाढ़ी को सिर्फ पानी से धोना काफी नहीं है, क्योंकि दाढ़ी में जीवाणु बहुत जल्द लगते हैं जिससे संक्रमण हो सकता है, इसलिए आप बियर्ड बाम का इस्तेमाल कर इसकी रोकथाम कर सकते हैं.
7. दाढ़ी के बालों की काट-छांट भी बहुत ज़रूरी है, जिससे की वह सही आकार और लंबाई की रहे.
8. इसके लिए आप एक अच्छे ट्रिमर में निवेश कर सकते हैं, या आप पार्लर में जाकर उसे बनाये रह सकते हैं.
9. साथ ही जो छोटे-छोटे अतिरिक्त बाल चेहरे पर हों, आप उन्हें भी कैंची से काटें, जिससे कि एक साफ रूप दिखे.
10. दिन में करीब 7-8 गिलास पानी ज़रूर पियें, जिससे बालों के सही विकास में मदद मिलती है.
11. नारियल का तेल भी दाढ़ी बढ़ाने में वैसे ही मदद करता है जैसे की सिर के बाल.
12. बालों के विकास के लिए अपने खानपान में विटामिन B1, B6 और B12 भी शामिल करें.
13. मीठा और फास्ट फ़ूड की बजाय फल, दूध, दही, बादाम और सोया को बढ़ाएं.
14. धूम्रपान का असर आपके दाढी और मूछों पर भी पड़ता है, क्योंकि यह रक्तप्रसाव कम कर देता है जिससे कि बालों के विकास में बाधा आती है.

सुनने की कला सीखने के नुस्ख़े

1. संवाद सिर्फ बातचीत नहीं, बल्कि दो लोगों के बीच का संतुलन होता है, जिसमे एक वक्ता तो दूसरा श्रोता होता है, और दोनों का होना ज़रूरी है.
2. कई बार हम लोग बहुत ज़्यादा बातें करते हैं, और हमें इस बात से बिल्कुल फर्क नहीं पड़ता कि सुनने वाला आपकी बातों में दिलचस्पी ले रहा है कि नहीं.
3. अगर आप सिर्फ बातें कहने के आदी हैं, तो सुनने की कला भी सीखनी होगी, क्योंकि ज़्यादा बोलने की बजाय ज़्यादा सुनना फायदेमंद होता है.
4. कई बार हमें अपनी कही बातों पर पछताना पड़ता है, जो कि बिना सोचे-समझे बात करने का नतीजा होता है.
5. आमतौर पर काम बात करना, अधिक सुनना, और दूसरों के विचारों से सहमत होना मुश्किल होता है.
6. हो सकता है कि आपको किसी के विचार सही या उसकी बातें अच्छी न लगें, लेकिन सुनते वक़्त आपको अपने विचारों को किनारे कर सामने वाले की बात पर ध्यान देना चाहिए.
7. जब आप इस प्रकार से किसी की बात को सुनते हैं, तो आप बातों के दूसरे पहलुओं को देख पाते हैं, और बोलने वाले की भावनाओं को भी आसानी से समझ सकते हैं.
8. इसलिए, यदि आप इस आदत को अपनाना चाहते हैं, तो पहले आपको कम बोलना सीखना होगा.
9, जो ज्यादा बात करते हैं, वे अपनी जानकारी से अधिक कह जाते हैं, जबकि जो लोग सुनने में दिलचस्पी लेते हैं, वे सभी की बातों को ध्यान से सुनते हैं और उन्हें सभी से कुछ न कुछ सीखने का मौका मिलता है.
10. इससे सुनने वाले को नई जानकारी भी मिलती है जिसका वह अच्छी तरह से उपयोग कर सकता है.
11. जो लोग ज्यादा बात करते हैं, उन्हें पता ही नहीं होता की वे क्या कहने जा रहे हैं, और अक्सर बातों-बातों में वे अपनी निजी ज़िन्दगी के बारे में भी ऐसी चीज़ें बता जाते हैं जिसका बाद में पछतावा होता है.
12. अधिकतर चुप रहने की वजह से हो सकता है की लोग आपको घमंडी समझें, पर जो आपके करीबी होंगे या वाकई आपको जान लेंगे उनकी यह गलतफहमी जल्द दूर हो जाएगी.
13. जो लोग ज़रूरत के समय ही बोलते हैं, वे हर बात को गंभीरता से समझते हैं, और उनकी बातों में भी गंभीरता होती है, इसलिए हमें तभी बोलना चाहिए जब हमें किसी चीज़ की ठोस जानकारी हो, जिससे सभी आपकी बात को सुनने में दिलचस्पी लें.