1. आपने पढ़ा या देखा होगा की कुछ व्यक्तियों को सफलता आसानी से या सयोंगवश मिली, पर ऐसा अपवाद स्वरूप ही होता है, और इसके भरोसे बैठ सफलता पाने की सोचना मूर्खता के सिवा कुछ और नहीं है.
2. हाँ, उपयुक्त अवसर को कभी छोड़ना भी नहीं चाहिए, जिसकी पहचान अपने विवेक और दूरदृष्टि से की जा सकती है, पर दृढ़ निश्चय के बल पर सफलता पाने वालों के उदाहरण अनेक मिलेंगे.
3. इसके लिए बिना विचलित हुए किसी भी निराशा से मुक्ति पाकर हर अनुकूल-प्रतिकूल स्तिथि में अपना उत्साह बनाए रखना, समय का एक पल नष्ट न करना, परिश्रम से न घबराना, धैर्य बनाए रखना, समुचित कार्ययोजना बनाकर अमल में लाना और अपना ध्यान केंद्रित रखना आवश्यक है.
4. इसके अलावा हमें अपने पिछले कार्यों, व्यवहार, अभ्यास और आदतों पर अपने ही आलोचक बनकर दृष्टि डालनी चाहिए क्योंकि स्वयं का मूल्यांकन करना और फिर आगे के लिए संकल्प लेना भी जरूरी है.
5. गलत ढंग से और बिना कार्य योजना के कर्म करते जाना भी व्यर्थ है, जिसके लिए हमें अपने प्रयासों के प्रति ईमानदार रहना भी बेहद जरूरी है, और इसमें हमारी प्रबल इच्छाशक्ति एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि यह हमें निराशा जैसी नकारात्मक स्तिथि से छुटकारा दिलाती है.