1. बच्चों के नखरे, यानी एकाएक गुस्से से भड़क जाना, किसी भी रूप में ज़ाहिर हो सकता है, और यह समस्या एक से पांच साल के बच्चों में ज्यादा दिखती है, जो कि विभिन्न कारणों से होती है.
2. जो बच्चे स्वभाव से जल्दी परेशान होते हैं, उनमें नखरों का खतरा भी अधिक होता है.
3. तनाव, भूख और घबराहट जैसी परिस्थितियों में भी बच्चे नखरे ज्यादा करते हैं.
4. कुछ बच्चे डर, चिंता, गुस्सा और शक जैसे मजबूत भावनाओं में भी नखरे करते हैं.
5. यदि बच्चे बोरियत महसूस कर रहें हैं, तो संभव है कि वे अपनी खीज और चिड़चिड़ाहट किसी न किसी रूप में बाहर निकालें, इसलिए ज़रूरी है कि आप उन्हें व्यस्त रखें.
6. उन्हें छोटी-छोटी रोचक गतिविधियों में बांधे रखें, या फिर दूसरे बच्चों को उनके साथ खेलने के लिए बुला लें, जिससे उनके नखरों पर काबू रहेगा.
7. जब बच्चा किसी बात को ज़िद करे और पूरा न होने पर चिढ़ जाए, तो उसी वक़्त उसे विस्तार से समझाने की कोशिश करें कि उसकी बात न मानने की वजह क्या है.
8. ऐसा करने से वह आपकी बात समझ कर मान सकता है, और यदि वह फिर भी अपनी ज़िद पर अड़ा रहे तो उस वक़्त उसे कुछ भी न कहें.
9. बच्चा जब तेवर दिखाए, तो तुरंत उसे अपने पास बिठाकर गहरी-गहरी सांस लेने को कहें, जिससे उसकी भावनात्मक प्रतिक्रिया धीमी पड़ जाएगी, और यदि वो ऐसा न करे, तो आप खुद ही ऐसा करें, जिससे आपको तनाव न हो.
11. बच्चा अगर नखरे दिखाए, तो उसे सज़ा न दें क्योंकि इससे बात सुधारने की बजाय बिगड़ सकती है, इसलिए खुद को थोड़ा शांत रखें और अपने सहभागी से इस बारे में विचार विमर्श करें और फिर कोई रास्ता निकालें.
12. यदि बच्चा गुस्से में मारना, काटना, लात चलाना या चीजें उठाकर फेंकना जैसे व्यवहार करे, तो उसे तुरंत उस जगह से हटा दें, जिससे उसे या किसी और को नुकसान न हो.
13. जहां तक हो सके, उसकी हरकतों पर कोई प्रतिक्रिया न दें, या फिर संभव हो तो मुस्करा दें, जिससे उसको एहसास होगा कि ऐसी गतिविधियों से अपनी बात मनवाने का उसका प्रयास व्यर्थ है.
14. कभी-कभी बच्चा अपना गुस्सा बाहर निकालना चाहता है, इसलिए अगर वह ऐसा करे तो उसे ऐसा करने दें, जिससे वह तनावमुक्त हो सकेगा.
15. कई बार नखरे दिखा रहे बच्चे को एक ज़ोरदार झप्पी देना ही पर्याप्त होता है, इसलिए उसे बिना कुछ कहे बस देर तक गले से लगाए रखें, जिससे बच्चा खुद को सुरक्षित महसूस करता है और उसे एहसास होता है कि आप उसका ध्यान रख रहे हैं.
2. जो बच्चे स्वभाव से जल्दी परेशान होते हैं, उनमें नखरों का खतरा भी अधिक होता है.
3. तनाव, भूख और घबराहट जैसी परिस्थितियों में भी बच्चे नखरे ज्यादा करते हैं.
4. कुछ बच्चे डर, चिंता, गुस्सा और शक जैसे मजबूत भावनाओं में भी नखरे करते हैं.
5. यदि बच्चे बोरियत महसूस कर रहें हैं, तो संभव है कि वे अपनी खीज और चिड़चिड़ाहट किसी न किसी रूप में बाहर निकालें, इसलिए ज़रूरी है कि आप उन्हें व्यस्त रखें.
6. उन्हें छोटी-छोटी रोचक गतिविधियों में बांधे रखें, या फिर दूसरे बच्चों को उनके साथ खेलने के लिए बुला लें, जिससे उनके नखरों पर काबू रहेगा.
7. जब बच्चा किसी बात को ज़िद करे और पूरा न होने पर चिढ़ जाए, तो उसी वक़्त उसे विस्तार से समझाने की कोशिश करें कि उसकी बात न मानने की वजह क्या है.
8. ऐसा करने से वह आपकी बात समझ कर मान सकता है, और यदि वह फिर भी अपनी ज़िद पर अड़ा रहे तो उस वक़्त उसे कुछ भी न कहें.
9. बच्चा जब तेवर दिखाए, तो तुरंत उसे अपने पास बिठाकर गहरी-गहरी सांस लेने को कहें, जिससे उसकी भावनात्मक प्रतिक्रिया धीमी पड़ जाएगी, और यदि वो ऐसा न करे, तो आप खुद ही ऐसा करें, जिससे आपको तनाव न हो.
11. बच्चा अगर नखरे दिखाए, तो उसे सज़ा न दें क्योंकि इससे बात सुधारने की बजाय बिगड़ सकती है, इसलिए खुद को थोड़ा शांत रखें और अपने सहभागी से इस बारे में विचार विमर्श करें और फिर कोई रास्ता निकालें.
12. यदि बच्चा गुस्से में मारना, काटना, लात चलाना या चीजें उठाकर फेंकना जैसे व्यवहार करे, तो उसे तुरंत उस जगह से हटा दें, जिससे उसे या किसी और को नुकसान न हो.
13. जहां तक हो सके, उसकी हरकतों पर कोई प्रतिक्रिया न दें, या फिर संभव हो तो मुस्करा दें, जिससे उसको एहसास होगा कि ऐसी गतिविधियों से अपनी बात मनवाने का उसका प्रयास व्यर्थ है.
14. कभी-कभी बच्चा अपना गुस्सा बाहर निकालना चाहता है, इसलिए अगर वह ऐसा करे तो उसे ऐसा करने दें, जिससे वह तनावमुक्त हो सकेगा.
15. कई बार नखरे दिखा रहे बच्चे को एक ज़ोरदार झप्पी देना ही पर्याप्त होता है, इसलिए उसे बिना कुछ कहे बस देर तक गले से लगाए रखें, जिससे बच्चा खुद को सुरक्षित महसूस करता है और उसे एहसास होता है कि आप उसका ध्यान रख रहे हैं.