कर्म ही पूजा है

1. हमेशा यह मानें कि भगवान ने अपने हिस्से की सभी जिम्मेदारियां बहुत अच्छी तरह निभा दी हैं, और अब यह हमारे ऊपर है कि हम उसके काम को आगे बढाएं.
2. पूजा-पाठ करना ही ईश्वर की पूजा नहीं होती, बल्कि अपने कर्तव्यों को अच्छी तरह से निभाना ही सच्ची ईश्वर भक्ति है.
3. हमें बाहरी आडंबर से दूर रहना चाहिए और हमेशा अपने कर्म करने पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि अगर हमारे कर्म अच्छे होंगे तो भगवान भी हमारा साथ हर समय निभाएंगे.
4. इसलिए, कर्म की चिंता करें और उसके फल की चिंता न करें, क्योंकि अगर अच्छे कर्म करेंगे तो उस कर्म का फल भी अच्छा ही मिलेगा.