साइबर सुरक्षा युक्ति

साइबर सुरक्षा युक्ति:-
1. अपने वायरलेस राउटर में मीडिया एक्सेस कंट्रोल, या "MAC", एड्रेस फिल्टर का उपयोग करने पर विचार करें।
2. हर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जो वाई-फाई नेटवर्क से जुड़ सकता है, उसमें एक विशिष्ट आईडी होती है जिसे "भौतिक पता" या "MAC" पता कहा जाता है।
3. वायरलेस राउटर इससे जुड़े सभी उपकरणों के "MAC" पतों को स्क्रीन कर सकता है।
4. उपयोगकर्ता राउटर द्वारा मान्यता प्राप्त "MAC" पते वाले उपकरणों से केवल कनेक्शन स्वीकार करने के लिए अपना वायरलेस नेटवर्क सेट कर सकते हैं।
5. अपने उपकरणों के अनधिकृत उपयोग को रोकने के लिए, अपने डिवाइस को केवल अनुमति देने के लिए अपने वायरलेस राउटर के "MAC" एड्रेस फ़िल्टर को सक्रिय करने पर विचार करें।

अतिरिक्त मील जाएं

अतिरिक्त मील जाएं:-
1. ज्यादातर लोग केवल वही करना चाहते हैं जो वे आसानी से कर सकते हैं।
2. लेकिन विजेता वे हैं जो अपने काम के कोटे से थोड़ा ज्यादा करने को तैयार हैं।
3. उम्मीद से बेहतर प्रदान करने के लिए अधिक प्रतिपादन के सिद्धांत का अभ्यास करने का प्रयास करें।
4. यह मानसिकता आपको सर्वोत्तम संभव रवैये के साथ कार्य करने में अधिक निपुण बना देगी।
5. एक अतिरिक्त मील जाना आपको इतना उपयोगी बनाता है कि आप अपरिहार्य और अक्षम हो जाते हैं।
6. अधिक योगदान देने का आपका दृष्टिकोण आपको सुर्खियों में रखेगा, और अनुकूल ध्यान उत्पन्न करेगा, जो आपको भीड़ से अलग करेगा।
7. "असाधारण" "अतिरिक्त" + "साधारण" होता है, और इस तरह के निवेश हमेशा बहुत गुणा और वापसी कराते हैं।

असफलता विजेताओं को प्रेरित करती है

असफलता विजेताओं को प्रेरित करती है और हारने वालों को हरा देती है:-
1. अपनी विफलता को दफनाने के बजाय उससे प्रेरित हों, क्योंकि यह सभी विजेताओं के लिए एक नुस्ख़ा है।
2. आप कई बार असफल हुए होंगे हालाँकि आपको याद नहीं होगा, जैसे आपने जब पहली बार कोशिश की:-
(i) चलने के लिए - आप नीचे गिर गए।
(ii) तैरने की - आप लगभग डूब गए।
(iii) साइकिल की सवारी करने के लिए - आपने संतुलन खो दिया।
और इसी तरह - यह सूची अंतहीन है।
3. आपको सफलता मिलने से पहले कई प्रयास करने पड़ सकते हैं, इसलिए पहली बार में ही सही चीजों को लेकर चिंतित न हों।
4. विजेता अपनी हार की जांच, और उनसे सीख लेकर, अपनी हार से लाभान्वित होते हैं।
5. सफलता प्राप्त करना केवल समय की बात होगी, यदि अपनी हार को नए आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ पुन: प्रयास करने की प्रेरणा के रूप में स्वीकार किया जाए।

कौशल से ज्यादा महत्वपूर्ण है इच्छाशक्ति

कौशल से ज्यादा महत्वपूर्ण है इच्छाशक्ति:-
1. अपनी इच्छाशक्ति का उपयोग चीजों को करने के लिए करें.
2. सफलता, काम करने की इच्छा और महत्वाकांक्षा पर आधारित है.
3. सभी सफल लोग उन चीजों को करने की आदत विकसित करते हैं जो दूसरों को करना पसंद नहीं है.
4. मनोवृत्ति किसी के चरित्र और स्थिति को दर्शाता है:-
(i) मैं नहीं करूंगा.. जिद्दी है
(ii) मैं नहीं कर सकता.. हारा हुआ है
(iii) मुझे नहीं पता.. आलसी है
(iv) काश.. सपने देखने वाला है
(v) मैं शायद करूं.. जाग रहा है
(vi) मैं कोशिश करूँगा.. अपने पैरों पर है
(vii) मैं कर सकता हूँ.. अपने रास्ते पर है
(viii) मैं करूंगा.. अपने काम पर है

स्व हित

*स्व हित:-*
1. कोई भी आपके हितों के लिए काम नहीं करेगा, जब तक कि वे उसके नहीं हैं।
2. दूसरों से निस्वार्थ सहायता या सहयोग के लिए अपील या अपेक्षाएं काम नहीं करती हैं, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अपनी जरूरतों और प्राथमिकताओं में जकड़ा है।
3. सफलतापूर्वक मदद मांगने की कला उस व्यक्ति की जरूरतों को समझने की आपकी क्षमता पर निर्भर करती है, जिसके साथ आप बातचीत कर रहे हैं।
4. अधिकांश लोगों के लिए, उनका स्वयं का लाभ उन्हें सबसे अधिक आकर्षित करता है, क्योंकि वे हमेशा आत्म-रुचि से अवशोषित और तल्लीन रहते हैं।
5. स्व हित वह उत्तोलक है जो लोगों को आगे बढ़ाता है; एक बार जब वे समझते हैं कि आपके मामले को बढ़ावा देना उनके हित में है, तो वे मदद करने के लिए प्रतिक्रिया देते हैं।

कर्मशील

1. संकीर्ण विचार वाले -
व्यक्तियों की चर्चा करते हैं.

2. सामान्य विचार वाले -
घटनाओं की चर्चा करते हैं.

3. विकसित विचार वाले -
लक्ष्य की चर्चा करते हैं.

4. अत्यधिक विकसित विचार वाले -
मौन रह कर कार्य करते हैं.

उपलब्धि

1. थोड़ा सा सम्मान मिला, पागल हो गए.
2. थोड़ा सा धन मिला, बेकाबू हो चले.
3. थोड़ा सा ज्ञान मिला, उपदेश की भाषा सीख ली.
4. थोड़ा सा यश मिला, दुनिया पर हंसने लगे.
5. थोड़ा सा रूप मिला, दर्पण को तोड़ डाला.
6. थोड़ा सा अधिकार मिला, दूसरों को तबाह कर दिया.
7. इसी प्रकार तमाम उम्र चलनी से पानी भरते रहे.
8. अपनी समझ से बहुत बड़ा काम करते रहे.

नेत्रदान कैसे करें?

1. मृतुपरांत नेत्रदान करने के लिए कोई भी जीवित व्यक्ति संकल्प ले सकता है, और इसके लिए वह विभिन्न नेत्ररोपण के लिए अधीकृत किए गए अस्पतालों में या सरकारी अस्पताल में जाकर इसके संदर्भ में दिया जाने वाला फॉर्म भरकर यह संकल्प और पंजीयन कर सकता है.
2. नेत्रदान का संकल्प करने वाले व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके नेत्र निकाल कर किसी नेत्रहीन व्यक्ति में प्रत्यारोपित किए जा सकते हैं, जिससे वह नेत्रहीन व्यक्ति दुनिया देख सकता है, और मृत व्यक्ति फिर से किसी दूसरे के शरीर से यह दुनिया देख सकता है.
3. अगर किसी व्यक्ति ने नेत्रदान का संकल्प नहीं भी लिया हो और उसकी मृत्यु हो गयी, तो मृतुपरांत उसके परिजन भी नेत्रदान करा सकते हैं, जिसके लिए फौरन ही किसी सरकारी अस्पताल या नेत्ररोपण के लिए अधीकृत किए गए अस्पताल को सूचना देनी होगी.
4. किसी भी व्यक्ति के मृत्यु पश्चात 6 घंटों के भीतर नेत्र निकाले जा सकते हैं, इसलिए जल्द से जल्द किसी आईबैंक को सूचित करें, आंखें जल्द बंद कर दें, पंखा न चलाएं, बंद आंखें गीले कपड़े से ढंक दें, और उपलब्धता हो तो एंटीबायोटिक आईड्रॉप का भी इस्तेमाल करें.
5. नेत्रदान करने से पहले परिजनों की उचित लिखित सहमति लेना ज़रूरी होता है, और नेत्रदान की प्रक्रिया को पंजीकृत स्वास्थ्य अधिकारी से कराना ज़रूरी होता है.
6. नेत्रदान करने की पूरी प्रक्रिया में कुछ कानूनी तौर पर पाबंदियां हैं, जैसे पूरी प्रक्रिया में किसी भी आर्थिक लाभ का उद्देश्य न हो, यह पूरी तरह से सामाजिक भूमिका से किया जाए, नेत्रदान करने वाले डाटा की पहचान को गुप्त रखना होता है, नेत्र जिस व्यक्ति को प्राप्त हो रही है उसके परिजनों को भी नेटरदाता की पहचान नहीं बताई जाती है, और नेत्रदान में किसी भी प्रकार की जाती, धर्म, पंथ तथा राष्ट्रीयता का भेद भी नहीं रखा जाता है.
7. नेत्रदान की शाल्य क्रिया काफी सरल और सटीक होती है जिसमे मात्र 20 मिनट लगते हैं, और जिससे मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए भी कोई विलंब नहीं होता, और न ही चेहरे पर उसका असर दिखता है.
8. नेत्रदान पर इन बातों का कोई असर नहीं होता जैसे मृत व्यक्ति की आंखों पर पहले कोई शल्यक्रिया हुई हो, उसकी आंखें पहले से ही कमजोर हों, वह चश्मा का इस्तेमाल करता हो, डायबिटीज या ब्लड प्रेशर से ग्रसित हो, या ज्यादा उम्र का हो.
9. लेकिन नेत्रदान के लिए कुछ लोग उचित नहीं होते जैसे मृत व्यक्ति में कोई संक्रमणकारी रोग हो, कैंसर का मरीज हो, वायरल हेपेटाइटिस हो, एक्टिव वायरल इन्सेफेलाइटिस हो, या रेबीज का मरीज हो.
10. आईबैंक में किसी भी मृत व्यक्ति के नेत्र पहुंचने पर उसकी उचित जांच की जाती है, तत्पश्चात जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी उन्हें ज़रूरतमंद व्यक्ति में प्रत्यारोपित करने के लिए प्रक्रिया की जाती है, जिसके लिए जिन लोगों को नेत्रों की आवश्यकता होती है, उनका वहां पहले से पंजीयन होता है, और उसकी प्रतीक्षा सूची के हिसाब से ही मरीज के साथ संपर्क किया जाता है और इत्रदान की प्रक्रिया को पूरा किआ जाता है.
11. दान किए गए नेत्रे कभी भी बेचे या खरीदे नहीं जा सकते, और अगर ऐसा सामने आया तो फौरन कड़ी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है.
12. नेत्रदान एक राष्ट्रीय कार्य है, इसलिए इस काम में हम एक जिम्मेदार भारतीय नागरिक के तौर पर आगे आना जरूरी है.

कर्म ही पूजा है

1. हमेशा यह मानें कि भगवान ने अपने हिस्से की सभी जिम्मेदारियां बहुत अच्छी तरह निभा दी हैं, और अब यह हमारे ऊपर है कि हम उसके काम को आगे बढाएं.
2. पूजा-पाठ करना ही ईश्वर की पूजा नहीं होती, बल्कि अपने कर्तव्यों को अच्छी तरह से निभाना ही सच्ची ईश्वर भक्ति है.
3. हमें बाहरी आडंबर से दूर रहना चाहिए और हमेशा अपने कर्म करने पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि अगर हमारे कर्म अच्छे होंगे तो भगवान भी हमारा साथ हर समय निभाएंगे.
4. इसलिए, कर्म की चिंता करें और उसके फल की चिंता न करें, क्योंकि अगर अच्छे कर्म करेंगे तो उस कर्म का फल भी अच्छा ही मिलेगा.

नौकरी पाने के लिए वनमानुष रणनीति भी अपनाएं

1. अगर आप नामीगिरामी नौकरी पोर्टलों पर अपना रेज़्यूमे अपलोड करना चाहते हैं, तो पहले अच्छी तरह से अपना रेज़्यूमे बनाएं, कई लोगों को दिखाकर उसकी त्रुटियां सुधारें, और सही कौशल चुनकर ही उन्हें अपलोड करें, क्योंकि जब भी कोई कंपनी  नौकरी पोर्टलों पर जा किसी खास कौशल सेट वाले बॉयोडाटा ढूंढती है, तो ऐसी रूपरेखा जिनमे वह कौशल सेट होगा, और जो सबसे हाल में ही अपडेट हुई होगी, वो सबसे ऊपर होती है.
2. हालांकि नौकरी पाने के इक्षुक ज्यादातर लोग अपना बॉयोडाटा ऑनलाइन नौकरियों के पोर्टल पर डालते हैं, फिर भी बहुतों को साक्षात्कार के बुलावे नहीं आते, जबकि नौकरी पाने के लिए बुलावा आना ज़रूरी है.
3. बुलावा न आने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे सही से बॉयोडाटा नहीं बनाया या अपनी योग्यताओं को रेज़्यूमे में सही से नहीं दर्शाया या अपनी योग्यताओं के हिसाब से सही जगहों पर आवेदन नहीं किया या जिन जगहों पर निवेदन कर रहें हैं वहां भारी मात्रा में आवेदनपत्र और रेज़्यूमे पहुंच रहे हैं.
4. अगर ऐसा आपके साथ भी हो रहा है, तो आपको वनमानुष रणनीति अपनानी चाहिए, जिसके अनुसार जितनी अच्छी कंपनियां हैं उन्हें चुनना होगा और फिर उनकी वेबसाइट के नौकरी वाले अनुभाग में जाकर अपना रेज़्यूमे अपलोड करें, या आप चाहें तो उनके द्वारा उपलब्ध कराए गए फ़ोन नंबर पर बात करके रिक्त पदों के बारे में पता कर सकते हैं, और फिर उन्हें अपना बॉयोडाटा भेज सकते हैं.
5. इससे साक्षात्कार का बुलावा आने के मौके बढ़ेंगे, क्योंकि के बार कंपनियां किन्हीं वजहों से अपने रिक्तपद के बारे में घोषणा नहीं की होती हैं, और ऐसे में अगर आप पहले आवेदन कर रहे हैं तो आपके सफल होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.
6. इस रणनीति को अपनाने के साथ-साथ अपना पारिवारिक, सामाजिक और पेशेवर संजाल भी बढ़ाएं, और उनसे अपनी नौकरी के तलाश की चर्चा करें, क्योंकि क्या पता किसी से सही सुझाव मिल जाए या कहीं के बारे में पता चल जाए.
7. फेसबुक और ट्विटर में भी ऐसे कई पन्ने होते हैं जो अक्सर कंपनियों में होने वाले अनियोजित साक्षात्कार, नौकरी मेला आदि के बारे में जानकारी डालते रहते हैं, साथ ही लिंक्डइन जैसी वेबसाइट द्वारा भी आप कंपनियों से संपर्क में रह सकते हैं.
8. नौकरी ढूंढने के दौरान आपको कभी भी साक्षात्कार का बुलावा आ सकता है, इसलिए अपने व्यवहार कुशलता को लगातार सुधारते रहें, इनटरनेट की मदद से किस तरह के सवाल पूछे जाते हैं उन्हें जानने की कोशिश करें, और उन सवालों के जवाब शीशे के सामने खड़े होकर रोजाना अभ्यास करते रहें, जिससे कि आप हमेशा पूरी तरह तैयार रहें.

अपने प्रति नकारात्मक प्रतिक्रिया से कैसे निपटें ?

1. अगर आपको कुछ बिंदुओं पर संदेह हो, तो उनके बारे में शांति से सवाल पूछें.
2. यह सुनिश्चित करें कि कुछ भी पूछते हुए आपकी बातचीत का लहज़ा बहुत ही शांत और सहज हो.
3. आपके प्रश्नों के पीछे सुधार लाने की इच्छा झलकनी चाहिए, न कि खुद को सही ठहराने का अड़ियल रवैया.
4. जब भी आपके काम पर नकारात्मक टिप्पणी की जा रही हो, तो आपके हावभाव सकारात्मक ही होने चाहिए.
5. किसी भी टिप्पणी से उपजा तनाव आप पर हावी नहीं होना चाहिए.
6. जितनी उदारता और खुले मन से आप आलोचना का स्वागत करेंगे, उतना ही उसका नकारात्मक असर कम होगा.
7. ध्यान रहे कि आप गलतियाँ जानकर ही अपने काम को बेहतर बनाने के तरीके सीखेंगे, क्योंकि काम की आलोचना किसी भी व्यक्ति को सीखने के लिए बहुत कुछ देती है.
8. अपनी गलतियों या आलोचनाओं पर बचाव प्रस्तुत न करें, लेकिन जो भ्रांतियां या गलतफहमियां हैं उन्हें साफ ज़रूर करें.
9. आत्मविश्वास खोने की बजाय उसे बनाना सीखें, और ऐसा व्यवहार न करें कि आपको यह सुनना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा है, बल्कि आलोचना करने वाले को  धन्यवाद दें कि उसने कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं की तरफ आपका ध्यान खींचा है और आप भविष्य में उनमें सुधार करने की पूरी कोशिश करेंगे.
10. इस तरह आप अनावश्यक विवाद को खत्म कर सकते हैं और एक सकारात्मक रिश्ता कायम कर सकते हैं.


कड़ी मेहनत और उपजाऊ विचार लोकप्रियता की कुंजी हैं

1. लोकप्रिय बनने के लिए सूझबूझ, समझदारी और कड़ी मेहनत करने की ज़रूरत होती है.
2. इसी तरह उपजाऊ विचार, जो छोटी-छोटी बुनियादी बातों से मिलकर बनाता है और अपने आप में तो कोई खास नहीं होतीं, मगर ये अगर आपमें हों तो वे मिलकर आपको खास बना देती हैं.
3. इसमें सभी तरह की बातें शामिल होती हैं, मगर सबसे महत्वपूर्ण है आपका आत्मविश्वास और पहल करने वाला व्यक्तित्व, जो किसी को कहीं भी लोकप्रिय बना देता है.
4. के लोगों के पास बेहतरीन सुझाव और योजनाएं होती हैं, वे मेहनती भी होते हैं, लेकिन उनमें आत्मविश्वास की कमी होती है जिसके चलते उन्हें हिचकिचाहट होती है.
5. हर समय उनके दिल और दिमाग में यह डर समाया रहता है कि उनके सुझावों और विचारों पर न जाने कैसी प्रतिक्रिया हो, या कोई ईर्ष्या न करने लगे या कुछ और समझने लगे.
6. इनकी वजह चाहे जो भी हो, लेकिन ऐसी तमाम बातें बेशक आपकी लोकप्रियता की बाधक हैं, इसलिए अपनी इस स्वभावगत कमी को तुरंत दूर करें.
7. ऐसा नहीं करने से, तमाम प्रतिभा, कौशल और योग्यता होने के बावजूद आप न सिर्फ लोकप्रियता बल्कि पदोन्नति से भी वंचित रह जाएंगे, इसलिए अपने उपजाऊ विचारों को बेधड़क होकर रखें.
8. अपने द्वारा दिए जाने वाले सुझावों पर बार-बार विचार करें, उनके अच्छे-बुरे नतीजों का जायजा लें, पूरी योजना को दिमाग में अच्छी तरह से रेखांकित करें, और उसके बाद ही उन्हें प्रस्तुत करें.
9. इनके बारे में अपने उन सहकर्मियों से बातें करें जिन्हें आप इसके योग्य समझते हों, और किसी तटस्थ व्यक्ति की राय भी जानें.
10. यदि वे आपके विचारों, योजनाओं से असहमत हैं, तो उसकी वजह जानने का प्रयास करें जिससे कि आप उनकी प्रस्तुति के समय हर तरह से तैयार हों.

पुरानी गलतियों से सीख कर नई शुरुआत करें

1. अपनी असफलताओं की फेहरिस्त तैयार करना पहली नज़र में निराश करता है, क्योंकि हम सफलता को कुछ ज़्यादा ही सकारात्मक रूप से देखते हैं.
2. लंबे समय तक सफलता के पीछे भागने वाले अपनी असफलताओं को किसी के साथ साझा करना पसंद नहीं करते, क्योंकि वे नहीं चाहते कि लोग उनके संघर्ष को जानें, समझें, और यह एक सहज मानवीय प्रवृति है.
3. अपनी पुरानी गलतियों की सूची बनाकर आप अपने आपसे सवाल कर सकते हैं कि आपकी ताक़त कितनी है और क्या आप अपनी कमजोरियों को दूसरों के साथ बांटने में यकीन करते हैं?
4. हमें अपनी गलतियों को स्वीकार करके उनपर मनन करना चाहिए, क्योंकि इससे हमें अपनी गलती का पता चलता है और इसे हम बार-बार करने से बचते हैं.
5. इस आत्म जागरूकता के बाद हमें मानसिक रूप से इन गलतियों में सुधार करने के लिए अपना समय और पूरे संसाधन देने चाहिए.
6. अपनी असफलताओं को हमें व्यक्तिगत, व्यावसायिक और स्वास्थ्य के नज़रिये से जांचकर उनकी वजहों को समझना चाहिए, और नए सिरे से नई शुरुआत करना चाहिए.

सपनों से बाहर निकलें

1. यह तथ्य है कि जब कोई व्यक्ति मधुर सपना देखता है, तब वह किसी के भी उपदेशों को नहीं सुनना चाहता, क्योंकि उसका सपना अपने पूर्ण सुख के करीब पहुचाने वाला रहता है.
2. लेकिन यह याद रहे कि सपना तो सपना है, चाहे सुखद हो या दुखद, जिसका आंखें खुलने के बाद कोई मूल्य नहीं होता.
3. उसी प्रकार हम भौतिक जीवन की सुख-सुविधाओं के जुगाड़ के सपने में खोये रहते हैं, और अपनी आत्मा की वास्तविक सुख-शांति से आंखें मूंदे रहते हैं.
4. किंतु जब किसी वजह से सपना टूटता है, तब पता चलता है कि वह तो झूठ था और महज़ एक सपना ही था.
5. सत्य ही शाश्वत है और भ्रमवश हम उससे आंखें मूंदे रहते हैं, इसलिए अब भी वक़्त है कि हम अपने सपनों से बाहर निकलें.

कामयाबी हासिल करने के कुछ नुस्ख़े

1. सफलता पाने के लिए सबसे पहले लक्ष्य निर्धारित करें, जिसके बारे में आपको एक प्रतिशत भी संदेह नहीं होना चाहिए.
2. हर इंसान में कोई न कोई खूबी होती है, इसलिए आप में वो कौन सी बात है उसको पहचानिए और उसे अपनी ताकत बनाइये.
3. अपनी इस खूबी में इतनी महारत हासिल कर लीजिये कि वो काम आप जैसा कोई न कर पाए.
4. अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हो जाएं और अपने काम से प्यार करें.
5. जब आप ऐसा करेंगे तो आपको दिन-रात, सुबह-शाम का एहसास तक नहीं होगा, और आप हर समय खुशी-खुशी अपना काम करते रहेंगे.
6. किसी भी काम को अंजाम देने के लिए आपको लोगों की ज़रूरत पड़ेगी ही, इसके लिए अपनी दल-निष्ठा भी बढ़ाएं.
7. मेहनत का कोई कोई छोटा रास्ता नहीं होता, और कामयाब बनने के लिए आम लोगों से कई गुना ज्यादा मेहनत की ज़रूरत होती है.
8. इसलिए, हालात चाहे जितने भी विपरीत क्यों न हों, अपना कर्तव्य कभी न भूलें, और लालच या असमंजस की स्तिथि में लोगों की नहीं बल्कि अपने मन की ही सुनें, तभी आप दूसरों से अलग बन सकेंगे.
9. जब भी कोई कमजोर क्षण आएं, तो खुद पर विश्वास ही आपको आगे बढ़ने में मदद करेगा, अंतः अपना विश्वास कभी भी डगमगाने न दें.
10. माहिर वही बनाते हैं जो हमेशा सीखने के लिए तत्पर रहते हैं, इसलिए सीखने का कोई भी मौका हाथ से जाने न दें, जिससे आप उतने ही पारंगत होते जाएंगे.
11. सम्मान उन्हें ही मिलता है जो दूसरों को सम्मान देना जानते हैं, इसलिए आप चाहे कितने भी परेशान क्यों न हों, अपना गुस्सा किसी और पर कभी न उतारें, भले वो बड़े हों या छोटे हों.
12. सरल और हंसते-मुस्कुराते लोग सभी को पसंद आते हैं, और कामयाबी भी उन्ही को मिलती है, इसलिए अपना उत्साह कभी भी कम न होने दें, जिससे लोग आप से मिलकर अच्छा महसूस करें.